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सरकार ने यदि किसान विरोधी काले कानूनों को वापस नहीं किया तो प्रधानमंत्री व केंद्र सरकार को इसका बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ेगा : भगत सिंह वर्मा

रिर्पोट :- गौरव सिंघल, वरिष्ठ संवाददाता, सहारनपुर मंडल।
 
देवबंद (दैनिक संवाद न्यूज ब्यूरो)। 

सिंधु बॉर्डर टिकरी बॉर्डर गाजीपुर बॉर्डर दिल्ली में देश से आए लाखों किसानों को संबोधित करते हुए पश्चिम प्रदेश मुक्ति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भगत सिंह वर्मा ने भाजपा की केंद्र सरकार को चेताया कि समय रहते यदि सरकार ने किसान विरोधी इन काले कानूनों को वापस नहीं किया तो प्रधानमंत्री व केंद्र सरकार को इसका बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ेगा। यह तीनों किसान विरोधी काले कानून है। इनसे जहां देश के किसानों को भयंकर व बड़ा नुकसान होगा। वही देश आर्थिक रूप से गुलाम हो जाएगा और सारे देश की अर्थव्यवस्था कारपोरेट घरानों के हाथ में आ जाएगी।
कारपोरेट घराने अपने मनमर्जी से देश की जनता का शोषण करेंगे व एक दिन देश पर भी इन्हीं का राज हो जाएगा। भगत सिंह वर्मा ने कहा कि देश के किसी भी किसान नेता किसान संगठन या किसान चिंतक ने इन काले बिलों की वकालत नहीं की है। इन बिलों में किसानों की उन्नति वह तरक्की के लिए कुछ भी तो नहीं है यदि केंद्र सरकार देश के अन्नदाता किसानों का भला करना चाहती है तो इन तीन काले बिलो को वापस करके देश के अन्नदाता किसानों को उनकी फसलों का लाभकारी मूल्य दिलाने का बेल लाना चाहिए। भाजपा की 6 वर्ष की सरकार में देश का अन्नदाता किसान सबसे कठिन दौर से गुजर रहा है और उस पर सबसे अधिक कर्ज बढ़ गया है उसे धान गेहूं की कीमत जो 6 वर्ष पहले मिल रही थी आज वह भी नहीं मिल पा रही है। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी झूठ बोलकर देश के किसानों की आय दोगुनी करने की बात करते हैं, जबकि किसानों की आय आधी भी नहीं रही है। भगत सिंह वर्मा ने कहा कि देश में स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करके ही केवल किसानों को लाभ हो सकता है।
जिसमें कहा गया है कि अन्नदाता किसानों को उनकी फसल की सभी लागत जोड़कर उस पर 50 परसेंट लाभ दिया जाए। राष्ट्रीय अध्यक्ष भगत सिंह वर्मा ने देश के किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि देश के अन्नदाता किसानों को उनकी फसलों का लाभकारी मूल्य मिलना ही चाहिए। गेहूं का लाभकारी मूल्य ₹5000 कुंतल, बासमती धान का लाभकारी मूल्य 7000 कुंतल, सोयाबीन का लाभकारी मूल्य ₹5000 कुंतल, कपास का लाभकारी मूल्य ₹10000 कुंतल व गन्ने का लाभकारी मूल्य600 कुंतल नकद किसानों को मिलना ही चाहिए। जिसके बारे में प्रधानमंत्री व केंद्र सरकार मौन है। भगत सिंह वर्मा ने कहा कि इस बार देश का अन्नदाता किसान परेशान होकर दिल्ली में डेरा जमा चुका है जो अपनी सभी समस्याएं हल करा कर घर जाएगा। किसानों के पास लड़ाई लड़ने या मरने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं है। दिल्ली से आकर पश्चिम प्रदेश मुक्ति मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने गन्ना समिति देवबंद में पश्चिम प्रदेश मुक्ति मोर्चा की बैठक करके जिला सहारनपुर में भी बड़ा आंदोलन चलाने की रणनीति बनाई और सरकार से आर- पार की लड़ाई में किसानों से बढ़-चढ़कर भाग लेने की अपील की।
गन्ना समिति में बैठक को संबोधित करते हुए पश्चिम प्रदेश मुक्ति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भगत सिंह वर्मा ने कहा कि अब बहुत हो चुका है आप किसान जाग चुका है। अब केंद्र सरकार को अन्नदाता किसानों की बात माननी होगी। उन्होंने कहा कि सरकार की गलत नीति के कारण ही देश के अन्नदाता किसानों पर कर्ज़ का भारी बोझ हो गया है। जिसे केंद्र सरकार संसद में बिल लाकर राइट ऑफ करें या बजट में व्यवस्था करके इसे समाप्त करा जाए। पिछले 5 वर्ष में देश के चंद उद्योगपतियों के 5 लाख करोड रुपए माफ किए जा सकते हैं तो देश के अन्नदाता किसानों के सभी कर्ज क्यों नहीं माफ किए जा सकते है। कृषि प्रधान देश भारतवर्ष में देश को आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए अन्नदाता किसानों की क्रय शक्ति बढ़ानी होगी। भारत एक महान देश है देश की खेती किसानी वह गांव को मजबूत करके ही देश आर्थिक रूप से मजबूत हो सकता है। बैठक का संचालन पश्चिम प्रदेश मुक्ति मोर्चा के प्रदेश महामंत्री वाजिद अली त्यागी ने किया।
 अध्यक्षता पश्चिम प्रदेश मुक्ति मोर्चा के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष राजेंद्र चौधरी ने की।बैठक में मंडल उपाध्यक्ष सरदार गुरविंदर सिंह बंटी, जोगेंद्र सिंह, हरपाल सिंह, रविंद्र चौधरी, प्रधान हाजी सुलेमान, जिला उपाध्यक्ष वसीम जहीरपुर, अमीर आलम, मोनिश गौड, सुभाष त्यागी, जुबेर अहमद, मोहम्मद लुकमान, मोहम्मद फारूक आदि ने भाग लिया।