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देश की जनता को भंडारे, विवाह-शादियों, बर्थडे पार्टियों आदि में डिस्पोजल की जगह पत्तलों का ही प्रयोग करना चाहिए : शशांक जैन/गौरव सिंघल

रिर्पोट :- गौरव सिंघल, वरिष्ठ संवाददाता, सहारनपुर मंडल।
देवबंद (दैनिक संवाद न्यूज ब्यूरो)।देवबंद नगर के प्रमुख पर्यावरण, गऊ-गंगा एवं पशु-पक्षी प्रेमी शशांक जैन और गौरव सिंघल ने कहा कि देश की जनता को यह जानकर आश्चर्य होगा कि हमारे देश मे 2000 से अधिक वनस्पतियों की पत्तियों से तैयार किये जाने वाले पत्तलों और उनसे होने वाले लाभों के विषय में पारम्परिक चिकित्सकीय ज्ञान उपलब्ध है पर मुश्किल से पाँच प्रकार की वनस्पतियों का प्रयोग ही हम अपनी दिनचर्या में करते है। आम तौर पर केले की पत्तियो में खाना परोसा जाता है। प्राचीन ग्रंथों में केले की पत्तियों पर परोसे गये भोजन को स्वास्थ्य के लिये लाभदायक बताया गया है।
आजकल महंगे होटलों और रिसोर्ट में भी केले की पत्तियों का यह प्रयोग होने लगा है। पत्तों से बनाई गई प्लेट, कटोरी व ट्रे में भोजन करना स्वास्थ्य के लिए भी बहुत लाभदायक है। जिसे प्लास्टिक, थर्माकोल के ऑप्शन में उतरा गया है क्योंकि थर्माकोल व प्लास्टिक के उपयोग से स्वास्थ्य को बहुत हानि भी पहुँच रही है। सुपारी के पत्तों की यह पत्तल केरला में बनाई जा रही हैं और कीमत भी ज्यादा नही है, तक़रीबन 1.5, 2, रुपये साइज और क्वांटिटी के हिसाब से अलग-अलग है। पलाश के पत्तल में भोजन करने से स्वर्ण के बर्तन में भोजन करने का पुण्य व आरोग्य मिलता है। केले के पत्तल में भोजन करने से चांदी के बर्तन में भोजन करने का पुण्य व आरोग्य मिलता है। रक्त की अशुद्धता के कारण होने वाली बीमारियों के लिये पलाश से तैयार पत्तल को उपयोगी माना जाता है। पाचन तंत्र सम्बन्धी रोगों के लिये भी इसका उपयोग होता है।
आमतौर पर लाल फूलो वाले पलाश को हम जानते हैं पर सफेद फूलों वाला पलाश भी उपलब्ध है। इस दुर्लभ पलाश से तैयार पत्तल को बवासिर (पाइल्स) के रोगियों के लिये उपयोगी माना जाता है। जोडो के दर्द के लिये करंज की पत्तियों से तैयार पत्तल उपयोगी माना जाता है। पुरानी पत्तियों को नयी पत्तियों की तुलना मे अधिक उपयोगी माना जाता है। लकवा (पैरालिसिस) होने पर अमलतास की पत्तियों से तैयार पत्तलो को उपयोगी माना जाता है। इसके अलावा पत्तलों से अन्य लाभ भी है। सबसे पहले तो उसे धोना नहीं पड़ेगा, इसको हम सीधा मिटटी में दबा सकते है, न पानी नष्ट होगा, न ही कामवाली रखनी पड़ेगी, मासिक खर्च भी बचेगा, न केमिकल उपयोग करने पड़ेंगे, न केमिकल द्वारा शरीर को आंतरिक हानि पहुंचेगी, अधिक से अधिक वृक्ष उगाये जायेंगे, जिससे कि अधिक आक्सीजन भी मिलेगी, प्रदूषण भी घटेगा, सबसे महत्वपूर्ण झूठे पत्तलों को एक जगह गाड़ने पर, खाद का निर्माण किया जा सकता है  एवं मिटटी की उपजाऊ क्षमता को भी बढ़ाया जा सकता है, पत्तल बनाने वालों को भी रोजगार प्राप्त होगा, सबसे मुख्य लाभ, आप नदियों को दूषित होने से बहुत बड़े स्तर पर बचा सकते हैं- जैसे कि आप जानते ही हैं कि जो पानी आप बर्तन धोने में उपयोग कर रहे हो, वो केमिकल वाला पानी पहले नाले में जायेगा फिर आगे जाकर नदियों में ही छोड़ दिया जायेगा जो जल प्रदूषण में आपको सहयोगी बनाता है। शशांक जैन और गौरव सिंघल का कहना है देश की जनता को भंडारे, विवाह-शादियों, बर्थडे पार्टियों आदि में भी डिस्पोजल की जगह पत्तलों का ही प्रयोग करना चाहिए।