Breaking News

हैदराबाद को पाकिस्तान में मिलाना चाहते थे जिन्ना, जाने भाग्यनगर पर क्या है इतिहास

मोहम्मद अली जिन्ना देश के बंटवारे के बाद हैदराबाद को पाकिस्तान में मिलाने को बेचैन थे, हैदराबाद पर किताब लिखने वाले लेखक ए जी नूरानी के अनुसार, जिन्ना का मानना था कि अगर भारत के दोनों हाथ कट जाए तो वह जिंदा रह सकता है. लेकिन अगर उसका दिल निकाल दे तो वह जी नहीं पाएगा और जिन्ना हैदराबाद को ‘भारत का दिल’ मानते थे. वह कश्मीर की जगह हैदराबाद को पाकिस्तान में शामिल करवाना चाहते थे. हैदराबाद को भारत में शामिल करवाने वाले पटेल ने ‘भारत के दिल का नासूर’ कहा था और फौजी कार्रवाई करके इसे भारत में शामिल करवा लिया था. एक वक्त था जब हैदराबाद रियासत भारत की सबसे रईस रियासत थी. यहां अगल-अलग बोलियां बोलने वाले लोग रहते थे.


क्या हैदराबाद का नाम कभी भाग्यनगर था? क्या हैदराबाद के सैकड़ों सालों के इतिहास में किसी भाग्यनगर का जिक्र आता है? क्या वजह है कि हैदराबाद की चुनावी रैली में पहुंचे योगी ने हैदराबाद का नाम बदलकर भाग्यनगर रखने की बात कही? आखिर भाग्यनगर की कहानी क्या है? हैदराबाद में भाग्यनगर को लेकर कई किस्से और कहानियां कही जाती हैं. दावों के पीछे हिस्टोरिकल फैक्ट्स की बात कही जाती है. सैकड़ों सालों पुरानी एक कहानी के मुताबिक भाग्यनगर के पीछे एक लव स्टोरी है. आखिर भाग्यनगर को लेकर इतिहास में क्या प्रमाण हैं? प्रोफेसर अमरजीवा लोचन कहते हैं कि इतिहास में कुछ ऐसे प्रमाण हैं जो बताते हैं कि शहर का नाम पहले भाग्यनगर था जिसे बाद में हैदर और हैदराबाद कर दिया गया.

एक कहानी के मुताबिक भाग्यवती नाम की एक नृत्यांगना थी और उसी नृत्यांगना से जुड़ी है भाग्यनगर की दास्तां. कहानी 500 साल पुरानी है. उस दौर में मौजूदा हैदराबाद की हुकूमत गोलकोंडा राजवंश के सुल्तान कुली कुतुब शाह के हाथों में थी. कुतुब शाह ने ही हैदराबाद शहर को बसाया था. जिसे तब ‘भाग्यनगर’ नाम दिया गया था, वजह थी उनकी प्रेमिका जिसका नाम था भाग्यवती. कहा जाता है कि 1589 में कुतुब शाह ने भाग्यवती से शादी की और कुली कुतुब ने गोलकोंडा सल्तनत में शामिल होने के बाद भाग्यवती के नाम पर भाग्यनगर शहर बसाया, जिसे बाद में हैदराबाद नाम मिला. ये कहानियां प्रचलित हैं. लेकिन इसके पीछे का आधार क्या है?

वरिष्ठ इतिहासकार डॉ. अमित राय जैन और फिरोज बख्त अहमद ने बताया कि इतिहास में जिक्र मिलता है कि हैदराबाद का नाम पहले भाग्यनगर था. इतिहासकार अमित राय जैन ने भी बताया कि सैकड़ों साल पहले भाग्यनगर का नाम बदलकर हैदराबाद रखा गया, उसके पीछे भाग्यवती और कुतुब शाह की लव स्टोरी है, जिसका वर्णन इतिहास में मिलता है. दो इतिहासकारों ने ये बात कही कि भाग्यनगर का नाम बदलकर हैदराबाद रखा गया और अब हैदराबाद के चुनाव में बीजेपी के नेता हैदराबाद का नाम बदलकर भाग्यनगर रखने की बात कह रहे हैं. ये बात 2018 में योगी ने तेलंगाना विधानसभा चुनाव में भी कही थी. हैदराबाद में बीजेपी एमएलए राजा सिंह भी हैदराबाद का नाम बदलकर भाग्यनगर करने की बात कहते हैं, लेकिन नाम बदलने की सियासत पर ओवैसी सीधा प्रहार कर रहे हैं बीजेपी ने वोटरों के सामने हैदराबाद का नाम बदल कर भाग्यनगर करने का नैरेटिव सेट किया है, और विपक्ष यही पूछ रहा है कि नाम बदलने से क्या हैदराबाद की तकदीर और तस्वीर बदल जाएगी.