पाकिस्तान (Pakistan) की एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मंच पर किरकिरी हुई है. पहली बार पाकिस्तान के संयुक्त राष्ट्र (United Nations) में पेश किए गए प्रस्ताव पर आधे से अधिक सदस्यों ने मतदान नहीं किया. दरअसल, पाकिस्तान पारस्परिक और सांस्कृतिक संवाद को बढ़ावा देने के लिए प्रस्ताव लेकर आया था, जिसमें 52 मत देने वाले देश अनुपस्थित रहे और 51 देशों ने मतदान नहीं किया.
अफ्रीकी देशों ने नहीं किया मतदान
जिन देशों ने पाकिस्तान (Pakistan) के प्रस्ताव को लेकर संयुक्त राष्ट्र (United Nations) में मतदान नहीं किया, उनमें से अधिकांश अफ्रीकी देश और छोटे द्वीप देश थे. पाकिस्तान ने फिलीपींस के साथ मिलकर प्रस्ताव पेश किया है और इसे 90 मतों के साथ पारित किया गया. भारत ने उठाया करतारपुर साहिब का मुद्दा भारत की अपनी चिंताएं है, विशेषकर करतारपुर साहिब कॉरिडोर को लेकर भारत ने इस बात पर प्रकाश डाला कि किस तरह पाकिस्तान ने करतारपुर गुरुद्वारा के प्रशासन को एक गैर-सिख निकाय को दे दिया. इसमें कहा गया है, ‘हमने करतारपुर साहिब कॉरिडोर की भावना के खिलाफ बड़े पैमाने पर पाकिस्तानी पक्ष के साथ इसका विरोध किया है, क्योंकि बड़े पैमाने पर सिख समुदाय की धार्मिक भावनाएं भी हैं.’ इसके अलावा भारत ने हिंदू धर्म, जैन धर्म और सिख धर्म पर भी चिंता व्यक्त की.
पाकिस्तान ने यूनाइटेड नेशन से कही ये बात यूनाइटेड नेशन से पाकिस्तानी मिशन ने कहा कि यह संकल्प ‘इस्लामोफोबिया, मुस्लिम विरोधी घृणा और धार्मिक व्यक्तित्व और प्रतीकों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए राजनयिक अभियान’ का हिस्सा है. कुछ ऐसा है जो एकतरफा दिखाया जाता है और एक देश से अपने स्वयं के अल्पसंख्यकों को सुरक्षित रखने के खराब रिकॉर्ड के साथ आता है. पाकिस्तान अब उत्सुक है कि संयुक्त राष्ट्र ‘इस्लामोफोबिया का मुकाबला करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस’ घोषित करे. यह एक ऐसा कदम है जो एक धर्म पर केंद्रित है और भविष्य में आशंका है कि इसका इस्तेमाल भारत के खिलाफ किया जाएगा.