बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Elections) के नतीजे पर इस समय देशभर की निगाहें गड़ी हुई हैं. सीएम की कुर्सी पर कौन सी सत्ता काबिज होगी, आज इसका परिणाम घोषित हो जाएगा. लेकिन अभी 243 सीटों के लिए वोटों की मतगणना दारी है. अब तक के रूझान में कई जगहों पर तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) की महागठबंधन पार्टी अच्छा प्रदर्शन करते हुए दिखाई दे रही है. लेकिन दूसरी तरफ एनडीए (NDA) के आगे अभी भी राजद बहुमत से काफी दूर है और NDA रुझानों में 124 सीटों से आगे चल रही है. तो वहीं महागठबंधन अभी भी 109 सीटों पर आगे है.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि बिहार में सीएम के पद को हासिल करने के लिए किसी भी पार्टी को 243 विधानसभा सीटों में से 122 सीटों पर जीत पक्की करनी होगी. फिलहाल इस समय चुनावी मैदान में महागठबंधन का नेतृत्व करने और सीएम पद की उम्मीदवार पर उतरे तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) नीतीश कुमार (Nitish Kumar) को कड़ी टक्कर देते हुए नजर आ रहे हैं. लेकिन आरजेडी (RJD) अचानक से बढ़त के बाद फिर से पीछे छूट गई है. ऐसे में इस खबर के जरिए हम आपको उन मसलों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके दम पर तेजस्वी आगे से बढ़े लेकिन बाद में पिछड़ते हुए दिखाई दिए.
इस साल बिहार विधानसभा चुनाव में हर रैली के दौरान तेजस्वी यादव ने बेरोजगारी के मसले को बड़े स्तर पर उठाया. मानों उन्होंने एक अलग ही मोर्चा खोल दिया हो. यही नहीं तेजस्वी ने बिहार की जनता के सामने 10 लाख नौकरी देने का भी वचन दिया. लेकिन हैरानी वाली बात तो ये है कि उन्होंने ये बात स्पष्ट नहीं की कि आखिर इतनी सारी नौकरियां देने के लिए वो पैसे कहां से लाएंगे. हालांकि तेजस्वी के इस वादे को लेकर नीतीश कुमार ने हर जनसभा में उन पर जबरदस्त हमला बोला था.
चुनाव रैलियों में नीतीश कुमार ने बार-बार लालू यादव के परिवार पर घोटाले का आरोप लगाया. लेकिन इसके बावजूद बिहार की जनता में नीतीश को लेकर खासा नाराजगी देखने को मिली. लेकिन इसके बाद भी बिहार निवासियों ने पीएम मोदी पर यकीन दिखाया. जिसके चलते तेजस्वी यादव को भारी नुकसान उठाना पड़ा. जनसभा को संबोधित करने के दौरान तेजस्वी ने इशारे-इशारे में लगातार पीएम नरेंद्र मोदी पर हमला बोलते रहे. देखा जाए तो उन्होंने दिल्ली के सीएम केजरीवाल के फॉर्मूले पर काम किया. यही नहीं बल्कि एलजेपी अध्यक्ष चिराग पासवान भी यही खेल खेलते हुए नीतीश कुमार पर जमकर हमलावर दिखे.
इस बार की चुनावी रैलियों में तेजस्वी यादव ने आम जनता के दिलों में अपनी जगह बनाने के लिए विकास से लेकर बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, मुद्रास्फीति और गरीबी जैसे मसलों का जमकर इस्तेमाल किया. लेकिन इस दौरान तेजस्वी देश से जुड़े मसलों से दूरी बनाते हुए नजर आए. जिसका खामियाजा उनकी पार्टी को उठाना पड़ा.