बिहार विधानसभा चुनाव पर पूरे देश की निगाहें टिकी हैं. इस बार कई ऐसे दिग्गज हैं जो पहली बार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं और कुछ नए चेहरे बड़ी पार्टियों की तरफ से चुनावी रण में उतरे हैं. लेकिन कुछ ऐसे भी हैं जो अपनी ही पार्टी से बिहार की सत्ता हासिल करने की चाह लेकर मैदान में उतरे हैं. हम बात कर रहे हैं बिहार के पूर्व बाहुबली सांसद पप्पू यादव की. जो जन अधिकार पार्टी के साथ चुनावी दंगल में उतरे हैं. सबसे दिलचस्प बात तो ये है कि पप्पू यादव बिहार के मुख्यमंत्री के उम्मीदवार भी हैं. ऐसे में देखना होगा कि इस बार बिहार के सिंहासन पर कौन बैठता है. लेकिन उससे पहले जानेंगे पप्पू यादव की निजी जिंदगी के उन पहलुओं के बारे में जिन्हें कम लोग जानते हैं.
धनी जमींदार परिवार में जन्म
राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव का जन्म एक धनी जमींदार खानदान में हुआ था. पप्पू यादव साल 1991 में बांकीपुर जेल में बंद थे और तभी उनकी जिंदगी में एक ऐसा मोड़ आया कि उनका बुरा समय अच्छे में बदल गया. जी हां, पप्पू यादव आज भी अपने उन दिनों की यादों को लेकर हंस पड़ते हैं या कहें कि उनके चेहरे में एक अजीब सी मुस्कान आ जाती है.
प्यार की जंग थी मुश्किल
पप्पू यादव जब जेल में बंद थे तब अकसर जेल अधीक्षक के आवास से लगे मैदान में लड़कों को खेलते देखा करते थे. जहां रंजीत भी टेनिस खेलती नजर आती थीं. रंजीत को पहली नजर में देखते ही पप्पू यादव उन्हें दिल दे बैठे थे और मन ही मन उन्हें अपना जीवनसाथी बनाने का फैसला कर लिया था.अपनी प्यार की कहानी शुरू करने के लिए पप्पू यादव जैसे ही जेल से छूटे तो फौरन उस क्लब में पहुंचे जहां रंजीत टेनिस खेलने आती थीं. लेकिन रंजीत को उनकी ये आदतें बिल्कुल भी पसंद नहीं थीं. कई बार ऐसा हुआ जब रंजीत ने उन्हें मना किया और एक बार तो ये तक कह दिया कि वह सिख है इसलिए उनका परिवार इस रिश्ते के लिए राजी नहीं होगा. क्योंकि पप्पू यादव हिंदू हैं.
खाई नींद की गोलियां
रंजीत का जिस तरह का व्यवहार पप्पू यादव के प्रति था उससे वह काफी निराश हो गए थे और इसी निराशा में उन्होंने आत्महत्या करने की कोशिश करते हुए बहुत सारी नींद की गोलियां खा ली थीं. पप्पू यादव को आनन-फानन में पीएमसीएच में भर्ती कराया गया. जीवन की इस घटना के बारे में खुद पप्पू यादव ने अपनी किताब द्रोहकाल रका पथिक में बताया है. पप्पू यादव रंजीत से प्यार करते थे लेकिन रंजीत मानने को तैयार नहीं थी.दोनों की राहों में बहुत से मुश्किलें आई. सबसे बड़ी परेशानी ये थी कि पप्पू यादव का परिवार शादी को राजी थी मगर रंजीत रंजन के पिता खिलाफ थे. क्योंकि धर्म अलग थे. लेकिन रंजीत को पाने की जिद इस कदर थी कि पप्पू यादव परिवार को मनाने के लिए चंडीगढ़ पहुंच गए मगर वहां से भी निराशआ ही हाथ लगी. इसके बाद उनकी मदद की कांग्रेस नेता एसएस अहलूवालिया ने.
शुरू हुई प्रेम कहानी
कई बार इनकार के बावजूद पप्पू यादव रंजीत से सिर्फ इतना कहते थे कि उनकी लाइफ की पहली और आखिरी लड़की वही हैं. मगर रंजीत समझने को राजी नहीं थे.मन ही मन रंजीत उन्हें पसंद तो करने लगी थीं लेकिन परिवार के खिलाफ जाकर कोई कदम नहीं उठाना चाहती थीं. क्योंकि उनके पिता शुरू से ही इस रिश्ते के खिलाफ थे.
कांग्रेस नेता की मदद से मिली रंजीत
अपनी किताब में ही पप्पू यादव ने बताया कि, कई कोशिशों के बाद जब परिवार नहीं माना तो उनहें किसी ने कांग्रेस नेता एसएस अहलूवालिया से मिलने को कहा. पप्पू यादव ढेर सारी उम्मीद लेकर उनसे मिलने दिल्ली गए और पप्पू यादव की जिद भी पूरी हो गई. कांग्रेस नेता की मदद से रंजीत रंजन का परिवार शादी के लिए राजी हो गया और दोनों फरवरी 1994 में शादी के बंधन में बंध गए. एक अखबार से बातचीत में पप्पू यादव ने बताया था कि, ‘मैं रंजीत जी को जितना शुक्रिया अदा करूं वो कम है, तीन साल तक हमारी दोस्ती चली. हमारा प्रेम प्रसंग फरवरी 1992 से शुरु हुआ, हमने 1994 में शादी की. मैं बहुत खुशनसीब हूं कि मुझे रंजीत के रूप में इतनी अच्छी पत्नी मिली है.’ बता दें, पप्पू यादव की पत्नी रंजीत रंजन पूर्व सांसद हैं और उन्हें बाइक चलाना बहुत पसंद है. बिहार की राजनीति में रंजीत और पप्पू यादव की जोड़ी को पावर कपल के नाम से भी जाना जाता है.