बस..कुछ दिनों का इंतजार है। इसके बाद दिवाली का त्योहार अपने चौखट पर दस्तक दे चुका होगा और फिर सभी के घर रोशनी से जगमगा उठेंगे, लेकिन इस बार की दिवाली कुछ खास और अलग होने जा रही है। इस बार मार्केट में चीन उत्पादों का दबदबा खत्म करने के लिए लगातार तरह-तरह कदम उठाए जा रहे हैं। पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर जारी तनाव के बीच यह कदम उठाया गया है। इस बार दिवाली के खास मौके पर भारतीय बाजारों से चीनी उत्पादों को ओझल करने के लिए महिलाओं ने खुद मोर्चा संभाल लिया है। राजधानी जयपुर में महिलाएं खुद ही गाय के गोबर से बने दीए बनाने में जुट चुकी है। यह महिलाएं इन दीओं को गाय के गोबर से तैयार कर रही हैं। यह दीए प्रदूषण रहित होंगे।
जयपुर में दीए बनाने के काम में तकरीबन 100 से भी अधिक महिलाएं जुटी हुईं हैं। ये महिलाएं एक दिन में औसतन 1 हजार दीए तैयार कर रहीं हैं। उनका कहना है कि दिवाली के मौके पर ग्राहकों की मांग की पूर्ति के लिए पर्याप्त मात्रा में माल को तैयार किया जा रहा है, ताकि ग्राहकों को खरीदारी के दौरान किसी प्रकार के अभाव का सामना न करना पड़े। वहीं, भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख के वास्तविक नियंत्रण रेखा पर जारी तनाव के बीच भी काफी अहम माना जा रहा है। गौरतलब है कि गत दिनों वास्तविक नियंत्रण रेखा पर जारी हिंसक झड़प के बाद भारतीय बाजारों में चीनी उत्पादों का बहिष्कार किया गया। केंद्र सरकार ने कई मौकों पर चीनी को सबक सिखाने की दिशा में डिजिटल स्ट्राइक भी किया है। उसके कई एप्स को बंद कर दिया गया।
उधर, हमेशा से दीवाली सहित अन्य त्योहारों पर अपने उत्पादों का दबदबा कायम रखने वाले चीन को सबक सिखाने की दिशा में जयपुर की महिलाओं का यह कदम मील का पत्थर साबित हो सकती है। दीए बनाने वाली महिलाओं का कहना है कि गाय हिंदू धर्म में शुद्ध माना जाता है। गाय के गोबर से बना दीया आसानी से मिट्टी में विघटित हो जाएगा, बल्कि चीनी उत्पाद आसानी से मिट्टी में विघटित नहीं होते हैं, जिसका नतीजा यह होता है कि यह आबोहवा को प्रदूषित करने का काम करता है।