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महाभारत के इस श्लोक में छिपा है सुखी और सम्पन्न जीवन का राज, आज ही रट ले

महाभारत सिर्फ एक कथा नहीं, ये सनातन धर्म का पवित्र ग्रन्थ है | जो हमे सामाजिक और व्यवहारिक ज्ञान प्रदान करता है | इसके साथ ही धर्म-अधर्म और जीवन की सच्चाई से अवगत कराता है | ऋषिओ का कहना है कि व्यक्ति यदि इस ग्रन्थ में छिपे गूढ़ रहस्यों को जानकर अपने जीवन में उतार ले | उसके जीवन में कभी किसी चीज की कमी नहीं रहती है | आज इसी क्रम में हम आपको महाभारत के शांति पर्व में वर्णित एक श्लोक के बारे में बताने जा रहे है, जिसमे व्यक्ति के सुखी और सम्पन्न जीवन का राज छिपा है | तो आइये जानते है, आज की इस पोस्ट में क्या ख़ास है |
ये है वो श्लोक
सर्वे क्षयान्ता निचया: पतनान्ता: समुच्छ्रयाः:।
संयोगा विप्रयोगान्ता मरणान्तं च जीवितम्॥
सर्वे क्षयान्ता निचया:
 
 
वर्णित श्लोक में बताया गया है कि संगृहीत की गयी हर चीज का विनाश निश्चित है | इसीलिए उन पर अधिक ध्यान नहीं देना चाहिए | कई लोग अपना जीवन धन के संग्रह में बीता देते है, लेकिन अंत में वह धन उनके कुछ काम नहीं आता है | इसीलिए धन का संग्रह करने के बजाय उससे परोपकार करना चाहिए |
पतनान्ता: समुच्छ्रयाः
 
 
अर्थात उन्नति करने वाली हर चीज का पतन पूर्वनिश्चित है | कई बार लोग ऊँचे पद पर पहुंच कर अभिमानी हो जाते है | अपने से नीचे लोगो के साथ हीन व्यवहार करने लगते है | ऐसे लोगो को समझने की जरूरत है कि कोई भी चीज सदा के लिए नहीं रहती है  | एक दिन उनका समय चला जायेगा |
संयोगा विप्रयोगान्ता
 
 
इसका अर्थ है, जिसका संयोग हुआ है, उसका वियोग भी होगा | जब भी भाग्य से हमे कोई चीज मिलती है, यदि वह दूर हो जाए उसका वियोग का दुःख नहीं मनाना चाहिए | कोई चीज दूर हो जाये या नष्ट हो जाए तो उसके लिए आंसू नहीं बहाने चाहिए |
मरणान्तं च जीवितम्
 
 
इसका अर्थ है की पैदा होने वाली हर चीज का मरण निश्चित है | इस सत्य को स्वीकारना चाहिए | किसी से संबंधो में प्रेमभाव अवश्य होना चाहिए, लेकिन उनकी मृत्यु पर विलाप नहीं करना चाहिए |