पूर्वी लद्दाख के वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत और चीन के बीच तनाव का माहौल है। गत 29, 30 और 31 अगस्त को चीनी सैनिकों की नाकाम हुई घुसपैठ से ड्रैगन बौखलाया हुआ है। एलएसी पर भारतीय सेना मजबूती स्थिति में है। चीन को हर मुंहतोड़ जवाब देने के लिए सैनिक मुस्तैद हैं। इस दौरान ऐसा नहीं है कि वार्ता को जरिया बनाकर इस तनाव को कम करने का प्रयास न किया गया हो.. बल्कि अभी तक चार राउंड की वार्ता हो चुकी है, लेकिन यह निष्फल साबित हुई है। जब से चीनी सैनिकों ने इस घुसपैठ को अंजाम दिया है, तब से भारतीय सैन्य अधिकारी वार्ता के सेतु पर सवार होकर इस मसले का पटाक्षेप करने को इच्छुक हैं, मगर जिस तरह की प्रतक्रिया चीनी पक्ष से की जा रही है, उससे यह साफ जाहिर है कि उसकी वार्ता में किसी प्रकार की कोई दिलचस्पी नहीं है।
यहां पर हम आपको बताते चले कि चीनी सैनिकों की इस घुसपैठ के बाद से भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच घंटों बातचीत हुई। चुशूल सेक्टर में भी भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच बातचीत हुई। अब चार राउंड कमांडर लेवल की बातचीत हो चुकी है। लेकिन अभी तक भारत की तरफ से की गई किसी भी पहल की परीणीति सामने नहीं आई है। उधर, अब खबर है कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह शंधाई सहयोग संगठन में शिरकत करने के लिए मास्को पहुंच चुके हैं, जिसमें चीनी रक्षा मंत्री भी शामिल होंगे, मगर अभी तक इस बात की पुख्ता जानकारी नहीं मिली है कि राजनाथ सिंह उनसे मुलाकात करेंगे या फिर नहीं।
बॉर्डर पर भारतीय सैनिकों की स्थिति
इसके साथ यदि बॉर्डर पर भारतीय सैनिकों की स्थिति कि बात करें तो भारत की स्थिति मजबूत है। अभी बीते दिनों ही भारतीय सैनिक ने ब्लैक टॉप पर कब्जा किया है। बता दें कि यह वह स्थिति यह है, जहां पर भारतीय सैनिक चीनी सैनिकों की हर गतिविधियों पर नजर रख सकते हैं। दूसरी ओर चीन अभी भी फिंगर 4 के कुछ हिस्से पर मौजूद है, लेकिन जिन पहाड़ियों पर भारत का कब्जा है रणनीतिक लिहाज से वो काफी मजबूत हैं।
सेना प्रमुख ने भी लिया स्थिति का जायजा
वहीं, ऐसी स्थिति में जब भारत और चीन के बीच जब स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है तो सेना प्रमुख एम.एम नरवणे लद्दाख पहुंचे और वायुसेना प्रमुख ने भी बॉर्डर के पास के बेस का दौरा किया। अभी बीते दिनों ही भारतीय विदेश मंंत्रालय ने इस संंदर्भ में प्रेस कांफ्रेंस की थी।