लद्दाख के चूसूल पैंगोंग त्सो झील के पास भारत-चीन सेना के बीच तनाव चरम पर है। पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास पैंगोंग झील के दक्षिणी छोर के बाद अब चीन ने चुमार इलाके में घुसपैठ करने की नाकाम कोशिश की। भारतीय विदेश मंत्रालय ने सोमवार को हुई इस घुसपैठ को उकसावे की कार्रवाई बताते हुए चीन को अपने सैनिकों को काबू में रखने की नसीहत दी। वहीं, हालात सामान्य करने के लिए दोनों देशों के सैन्य कमांडरों के बीच बातचीत मंगलवार को भी जारी रही।
दरअसल, चीन ने पिछले तीन दिन में तीन अलग-अलग इलाकों में घुसपैठ की कोशिश की। लेकिन चीन की हरकतों पर नजर रख रही भारतीय सेना ने हर बार इन कोशिशों को नाकाम कर दिया।
15 जून को गलवान में हुई हिंसा के बाद से दोनों देशों के बीच कई स्तर की बातचीत हो चुकी है। लेकिन इस सबकी आड़ में चीन घुसपैठ करने की कोशिश में जुटा है। बताया जा रहा है कि 01 सितंबर को भी चीन की ओर से 7-8 बड़े वाहन भारतीय सीमा की ओर आने लगे थे, लेकिन चेपूजी कैंप के पास तैनात भारतीय सैनिकों ने उन्हें आगे नहीं बढ़ने दिया। अब भारतीय सेना की ओर से इस इलाके में अपने जवानों और सैनिकों को तैनात कर दिया गया है। चीनी सेना की लगातार उकसाने वाली हरकतों के बाद भारतीय सेना इस वक्त हाई अलर्ट पर है।
बता दें कि इस कोशिश से पहले भी 29-30 अगस्त की रात और फिर 31 अगस्त की रात को चीन की ओर से घुसपैठ की कोशिश की गई है। 29-30 की रात को चीन ने पैंगोंग इलाके के साउथ क्षेत्र में आने की कोशिश की, तो वहीं 31 की रात को चीनी जवान काला टॉप के पास आना चाहते थे। जब चीनी जवान उस ओर बढ़े तो भारतीय जवानों ने उन्हें देखा और मेगाफोन पर ही चेतावनी दे दी, जिसके बाद चीनी उल्टे पांव लौटे।
चीन के द्वारा लगातार घुसपैठ की कोशिशों पर भारत ने सख्त रवैया अपनाया है। विदेश मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि तीन ने लगातार बॉर्डर पर उकसाने वाले काम किए हैं और घुसपैठ की कोशिश की है। हमने चीन के सामने डिप्लोमेटिक और मिलिट्री लेवल पर इस मसले को उठाया है।
इसी विवाद पर मंगलवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, NSA अजित डोभाल ने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की और ताजा हालात के बारे में जाना। बॉर्डर पर चुशूल इलाके में अभी भी ब्रिगेडियर कमांडर लेवल की बात कर मसले को शांत करने की कोशिश की जा रही है, लेकिन चीन है कि अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है।