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मनुष्य जीवन में पितृपक्ष के महत्व एवं इस दौरान वर्जित कार्यों आदि पर विशेष

मनुष्य जीवन में पितरों को यादकर ब्रह्मचर्य जीवन जी कर उनकी पूजा अर्चना कर उन्हें जल एवं अन्न का तर्पण कर अपने पितृ ऋण चुकता करने सौभाग्य प्रदान करना मनुष्य का धर्म होता है।साल में एक बार पितरों की पूजा अर्चना श्रद्धा हवन अर्पित करने वाले पितृपक्ष की शुरुआत आज हो गई है इस पावन बेला पर हम अपने सभी सुधीजन पाठकों को शुभकामनाएं देते हुए उनका ध्यान पितृपक्ष के महत्व एवं उससे जुड़े महत्वपूर्ण गतिविधियों की ओर खींचते पितरों का स्वागत सत्कार नमन करना चाहता हूँ।

पितृ पक्ष के दरिम्यान कुछ कार्य ऐसे होते हैं जो भूल से भी करना वर्जित होता है।वर्जित कार्य करने से पितरों की आत्मा नाराज होती है।हमारी वैदिक मान्यता है कि पितर पक्ष के दौरान हर मनुष्य के पितर पुरखे पहले ही दिन से आकर अपनी जन्मस्थली पर आकर अपने वंशजों का इंतजार करने लगती है।लोग इस दौरान अपने अपने पितरों को जल अर्पित कर तिल चावल पिंडदान एवं भोजन देने के उद्देश्य से रोजाना हवन कर अंतिम में उनकी श्राद्ध कर उन्हें विदा करते हैं और खूब आशीर्वाद देते हुए वापस लौट जाते हैं।जो लोग अपने पितरों को पानी भोजन श्राद्ध नहीं देते हैं उनके पितर अपने वंशजों को बदुआए देते हुए चले जाते हैं।इस बार पितृपक्ष 2 सितंबर से शुरू हो गये हैं जो 17 सितंबर तक चलेंगे।

 

इस दौरान पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध कर्म और तर्पण विधि-पूर्वक किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पिंडदान की पूजा में किसी भी तरह की लापरवाही से पितर नाराज हो जाते हैं। इसलिए इसको करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक माना गया है। पितृपक्ष के दौरान आपको कौन सी चीजें ध्यान में रखनी चाहिए, जिससे आपकी पूजा बिना किसी गलती के पूरी हो सके इस बारे हम विस्तार से प्रस्तुत कर रहे हैं।श्राद्ध कर्म के दौरान भूलकर भी लोहे के बर्तनों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। मान्यता के अनुसार, पितृपक्ष में लोहे के बर्तन के प्रयोग करने से परिवार पर अशुभ प्रभाव पड़ता है। इसलिए पितृपक्ष में लोहे के अलावा तांबा, पीतल या अन्य धातु से बनें बर्तनों का ही इस्तेमाल करना चाहिए।

इसी तरह पितृपक्ष में पितरों के लिए श्राद्ध कर्म कर समय उस दिन शरीर पर तेल का प्रयोग नहीं करना चाहिए और न ही पान खाना चाहिए। इसके साथ ही दूसरे के घर का खाना पितृपक्ष में वर्जित बताया है और इत्र का प्रयोग भी नहीं करना चाहिए।पितृपक्ष में पूर्वजों को याद किया जाता है और उनकी आत्मा की शुद्धि के लिए पूजा की जाती है। इसलिए इस दौरान परिवार में एकतरह से शोकाकुल माहौल रहता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए, साथ ही नई वस्तु की खरीदारी करना भी अशुभ माना गया है।पितृपक्ष के दौरान भिखारी या फिर किसी अन्य व्यक्ति को बिना भोजन कराएं नहीं जाने देना चाहिए। इसके साथ ही पशु-पक्षी जैसे कुत्ते, बिल्ली, कौवा आदि का अपमान नहीं करना चाहिए।

मान्यता के अनुसरा, पूर्वज इस दौरान किसी भी रूप में आपके घर पधार सकते हैं।पितृपक्ष में जो पुरुष अपने पूर्वजों का श्राद्ध कर्म करते हैं, उन्हें दाढ़ी और बाल नहीं कटवाना चाहिए। शास्त्रों में बताया गया है कि पितृपक्ष के दौरान दाढ़ी और बाल कटवाने से धन की हानि होती है क्योंकि यह शोक का समय माना जाता है।
पितृपक्ष में घर पर बनाए गए सात्विक भोजन से ही पितरों को भोग लगाना उत्तम माना गया है अगर आपको अपने पूर्वज की मृत्यु तिथि याद है तो उस दिन पिंडदान भी करना चाहिए अन्यथा पितृपक्ष के आखिरी दिन भी पिंडदान अथवा तर्पण विधि से पूजा कर सकते हैं।