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प्रधानमंत्री मोदी ने किसानों को दिया बड़ा तोहफा, PM-KISAN का फंड जारी

बलराम जयंती, हलछठ, और दाऊ जन्मोत्सव पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज कृषि अवसंरचना कोष के तहत एक लाख करोड़ रुपये की वित्तपोषण सुविधा की शुरुआत कर रहे हैं। इस कार्यक्रम में ‘पीएम-किसान योजना’ के अंतर्गत सहायता राशि की छठी किस्त भी जारी की जाएगी। 8.5 करोड़ किसानों के खातों में 17,000 करोड़ रुपये स्थानांतरित किए जाएंगे।

पीएम किसान योजना के तहत सभी पात्र किसान परिवारों को सालाना 6 हजार रुपए की राशि दी जाती है। इस योजना की शुरुआत से अब तक लगभग 10 करोड़ किसानों को इसका फायदा मिला है। इस किस्त के बाद अब तक किसानों को करीब 92 हजार करोड़ रुपए भेजे जा चुके हैं।

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बताते चलेंं कि प्राइमरी कृषि को-ऑपरेटिव संस्थानों को केवल 1 पर्सेंट ब्याज दर पर 1128 करोड़ रुपए ऋण की स्वीकृति दी जी जाएगी। ब्याज में 3 पर्सेंट की छूट और 2 करोड़ रुपए तक के ऋण पर सरकार गारंटी देगी। कृषि इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत बनाने के लिए भंडारण, कोल्ड स्टोरेज, पैक हाउथ और मार्केटिंग सुविधाओं का विकास किया जाएगा। वित्तीय संस्थायों द्वारा एक लाख करोड़ रुपए का ऋण उपलब्ध कराने की सुविधा होगी। प्राथमिक कृषि सहकारी समितियां, कृषि उत्पादक संघ, किसान स्व-सहायता समूह, कृषि उद्यमी और स्टार्ट अप्स पात्र होंगे।

पीएम मोदी ने कहा कि कृषि मंत्रालय ने छुट्टी होने के बावजूद रविवार का दिन इसलिए चुना क्योंकि आज हल षष्ठी है, आज भगवान बलराम का जन्मदिन है। किसान बलराम जी की पूजा करता है। मैं सभी देशवासियों विशेषकर किसानों को हल छठ की शुभकामनाएं देता हूं। देश में कृषि से जुड़ी सुविधाओं के लिए 1 लाख करोड़ रुपए का फंड लॉन्च किया गया है। इससे गांव-गांव में भंडारण और आधुनिक कोल्ड स्टोरेज तैयार करने में मदद मिलेगी और गांवों में रोजगार पैदा होंगे।

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पीएम ने कहा कि 8.55 करोड़ किसानों के खातों में स्विच दबाते हुए 17 हजार करोड़ रुपए जमा हो गए। कोई बिचौलिया नहीं, सीधा किसानों के खातों में चला गया। संतोष इस बात का है कि इस योजना का लक्ष्य हासिल हो रहा है। हर किसान परिवार के पास सीधे मदद पहुंचे, इस उद्देश्य में योजना सफल रही है। 22 हजार करोड़ रुपए तो केवल कोरोना लॉकडाउन के दौरान पहुंचाए गए हैं।

पीएम ने कहा कि दशकों से यह मांग चल रही थी कि गांव में उद्योग क्यों नहीं लगते। जैसे उद्योगों को दाम तय करने और देश में कहीं भी बेचने की सुविधा होती है वैसी सुविधा किसानों को क्यों नहीं मिलती। अब ऐसा तो नहीं होता कि किसी साबुन का उद्योग किसी शहर में लगा है तो बिक्री उसी शहर में होगी। साबुन तो कहीं बिक सकता है, लेकिन खेती में ऐसा नहीं होता था। किसानों को शहर की मंडी में ही उत्पाद बेचना पड़ता था। पीएम ने कहा कि अब यह खत्म कर दिया गया है, अब जो उसे ज्यादा कीमत देता है उसके साथ अपने फसल का सौदा कर सकता है।

ने कहा कि नए कानून के तहत किसान अब उद्योगों से सीधे समझौता कर सकता है। इससे किसान को फसल की बुआई के समय तय दाम मिलेंगे, जिससे उसे कीमतों में होने वाली गिरावट से राहत मिल जाएगी। हमारी खेती में पैदावार समस्या नहीं है, बल्कि उपज की बर्बादी समस्या रही है। इससे किसानों और देश को नुकसान होता है। इसी से निपटने के लिए एक तरफ कानूनी अड़चनों को दूर किया जा रहा है और किसानों को सीधे मदद दी जा रही है।

पीएम ने कहा कि आवश्यक वस्तुओं से जुड़ा एक कानून दशकों पहले पहना था। वह इसलिए बना था क्योंकि तब अनाज की कमी थी, आज अनाज की अधिकता थी। इसलिए उस कानून से नुकसान होता था। लेकिन यह कानून अब तक लागू था, जिसकी अब कोई जरूरत नहीं है। गांवों में इन्फ्रास्ट्रक्चर नहीं बन पाए इसका भी एक बड़ा कारण यही है। इस कानून का बहुत दुरुपयोग हुआ। अब कृषि व्यापार को इस डर से मुक्त कर दिया गया है। अब कोरोबारी गांवों में स्टोरेज बनाने के लिए आगे आ सकते हैं।