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‘राज्यों द्वारा कर योगदान के हिसाब से फंड मांगना छोटी सोच’, पीयूष गोयल का बयान

केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि कुछ राज्यों द्वारा यह मांग करना कि उन्हें कर योगदान के अनुपात में केंद्र सरकार से फंड मिले, यह उनकी छोटी सोच है और राज्यों का ऐसी मांग करना दुर्भाग्यपूर्ण है। केंद्रीय मंत्री ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और ‘स्टूडेंट एक्सपीरियंस इन इंटर स्टेट लिविंग’ पहल के तहत राष्ट्रीय एकात्मता यात्रा 2025 कार्यक्रम के दौरान कही। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मानना है कि अगर देश को समृद्ध बनाना है तो पूर्वोत्तर के आठ राज्यों और बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और झारखंड जैसे पूर्वी भारतीय राज्यों का विकास होना जरूरी है।

पीयूष गोयल ने कहा कि पिछले 11 वर्षों में महाभारत के अर्जुन की तरह, मोदी सरकार का ‘फोकस’ पूर्वोत्तर और पूर्वी राज्यों के विकास पर रहा है। गोयल ने कहा, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ राज्य और कुछ नेता, मैं इसका राजनीतिकरण नहीं करना चाहता, लेकिन महाराष्ट्र के कुछ नेता कहते थे मुंबई और महाराष्ट्र द्वारा चुकाए गए कर के हिसाब से उन्हें केंद्रीय निधि से उसी अनुपात में राशि वापस मिलनी चाहिए।’ मुंबई उत्तर से सांसद पीयूष गोयल का यह निशाना महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाविकास अघाड़ी सरकार पर था।

गोयल ने कहा कि, ‘कर्नाटक, तमिलनाडु, तेलंगाना जैसे कुछ राज्य भी कहते हैं कि उन्हें उनके द्वारा चुकाए गए कर के अनुपात में राशि वापस मिलनी चाहिए। इससे छोटी सोच नहीं हो सकती। इससे ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण कुछ नहीं हो सकता।’ गोयल ने कहा कि महाराष्ट्र की मौजूदा सरकार उत्तर पूर्वी राज्यों के विकास के लिए संवेदनशील है। गोयल ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार पिछले 11 वर्षों से पूर्वोत्तर भारत को प्राथमिकता देते हुए ‘एक्ट ईस्ट’ और ‘लुक ईस्ट’ नीति पर काम कर रही है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के तहत पूर्वोत्तर राज्यों को रेलवे से जोड़ा जा रहा है और राजमार्गों का नेटवर्क बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी 65 से अधिक बार पूर्वोत्तर का दौरा कर चुके हैं।