विपक्षी दलों (opposition parties) के इंडिया (INDIA) गठबंधन को बने तीन माह से ज्यादा का वक्त हो चुका है। इस दौरान घटकदलों की तीन बैठकें भी हुईं, लेकिन घटकदल अभी तक कोई ठोस पहल नहीं कर पाए हैं। इससे सीट बंटवारे (seat sharing) में देरी के आसार नजर आ रहे हैं। इंडिया गठबंधन में शामिल घटकदल के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि पिछले तीन माह में हम कोई ठोस पहल नहीं कर पाए हैं। वहीं, दूसरी तरफ घटकदलों के आपसी मतभेद उभरे हैं। ऐसे में इंडिया गठबंधन को लेकर देश में जो माहौल बना है, उसे बरकरार रखना मुश्किल होगा। घटकदल गठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर सुस्त पहल से भी सहमत नहीं हैं।
रणनीतिकार मानते हैं कि 13 सितंबर को एनसीपी प्रमुख शरद पवार के घर पर हुई बैठक में जिन चार मुद्दों पर सहमति बनी थी, उनमें से सिर्फ एक मुद्दे पर अमल हुआ है। जाति जनगणना को लेकर कांग्रेस और दूसरे कई दलों ने प्रमुखता से उठाया है, पर गठबंधन में शामिल कई दल जाति जनगणना को लेकर अभी तक ऊहापोह की स्थिति में हैं।
विधानसभा चुनाव के बाद ही सीट बंटवारा
समन्वय समिति में अक्तूबर तक सीट बंटवारे को अंतिम रूप देने पर सहमति बनी थी, पर इस दिशा में कोई ठोस पहल नहीं हुई है। भोपाल में संयुक्त रैली भी किसी कारण रद्द हो गई। उसकी जगह अभी तक गठबंधन की संयुक्त रैली को लेकर चर्चा नहीं हुई। समन्वय समिति के एक सदस्य ने कहा कि पांच राज्यों के चुनाव के बाद ही सीट बंटवारा होगा।
तीन राज्यों में कांग्रेस का भाजपा से सीधा मुकाबला
घटकदल मानते हैं कि कांग्रेस पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में व्यस्त है। पांच में तीन राज्यों में कांग्रेस का भाजपा से सीधा मुकाबला है। ऐसे में पार्टी का पूरा फोकस चुनाव पर है। घटकदल के एक नेता ने कहा कि कांग्रेस गठबंधन में सबसे बड़ी पार्टी है। उसकी कोशिश होगी कि पांच राज्यों के परिणाम के बाद गठबंधन पर बातचीत की जाए। इन राज्यों के चुनाव में कांग्रेस को बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है।
कांग्रेस पार्टी मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के साथ किसी और राज्य में अपनी जीत दर्ज करने में सफल रही, तो सीट बंटवारे में उसकी ताकत बढ़ जाएगी। शायद इसीलिए कांग्रेस आहिस्ता कदम बढ़ा रही है। इसके साथ तमाम कोशिशों के बावजूद घटकदलों में तालमेल का भी अभाव साफ दिख रहा है।