एक रेप पीड़िता के ‘मांगलिक’ (‘manglik’) होने का पता लगाने के लिए कुंडली जांचने संबंधी हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच (Lucknow Bench) के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने रोक लगा दी। शीर्ष कोर्ट ने शनिवार को स्वत संज्ञान लेते हुए विशेष सुनवाई की।
हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ (Lucknow Peeth) ने लखनऊ विवि के ज्योतिष विभाग को आदेश दिया था कि वह दुष्कर्म पीड़िता की कुंडली देखकर बताए कि वह मांगलिक है या नहीं? शीर्ष कोर्ट ने कहा, यह आदेश परेशान करने वाला है। पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि क्या उन्होंने आदेश देखा है। मेहता ने कहा, वह अचंभित हैं। शिकायतकर्ता के वकील ने कहा, आदेश सहमति से दिया गया। कोर्ट को विशेषज्ञ गवाह बुलाने का हक है। शीर्ष कोर्ट ने कहा, यह गैर जरूरी है।
क्या है मामला
पीड़िता ने आरोप लगाया था कि युवक ने शादी करने का वादा कर उसके साथ रेप किया। युवक ने कहा, लड़की मांगलिक है, वह उससे शादी नहीं कर सकता। जबकि लड़की का कहना था कि वह मांगलिक दोष से ग्रसित नहीं है। दरअसल, लड़का उससे शादी नहीं करना चाहता इसलिए उसे मांगलिक बता रहा है। इस पर लखनऊ पीठ के एकल जज ने लड़की की कुंडली जांचने के लिए लखनऊ विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग के अध्यक्ष को निर्देश दिया और कहा कि बताएं कि वह मांगलिक है या नहीं।
सुनवाई जुलाई तक स्थगित
कुंडली जांचने के 23 मई के आदेश पर रोक लगाते हुए उच्चतम न्यायालय ने हाईकोर्ट को निर्देश दिया कि वह 26 जून को मामले के गुणदोषों के आधार पर अभियुक्त की जमानत अर्जी पर सुनवाई करे। उच्चतम न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार और संबंधित पक्षों को नोटिस जारी करते हुए मामले की सुनवाई जुलाई के लिए स्थगित कर दी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा
यह आदेश निजता के अधिकार को व्यथित करता है। क्या न्यायिक कोर्ट में यह एक सवाल (कुंडली की जांच) हो सकता है।