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एनटीपीसी के काम में बाधा डालने और हिंसा भड़काने में झारखंड के पूर्व मंत्री और उनकी पत्नी को 10-10 साल की सजा

रांची (Ranchi) के अपर न्यायायुक्त (Additional Commissioner) विशाल श्रीवास्तव (Vishal Srivastava) की अदालत (Court) ने झारखंड (Jharkhand) के पूर्व मंत्री (Former Minister) योगेंद्र साव (Yogendra Sao) और उनकी पत्नी पूर्व विधायक निर्मला देवी (His Wife Former MLA Nirmala Devi) को चर्चित चिरुडीह हिंसा कांड (Chirudih Violence Case) में 10-10 साल की सजा सुनाई है ।

अदालत ने इन दोनों के 2016 में एनटीपीसी (नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन) के निमार्णाधीन प्रोजेक्ट के काम में बाधा डालने, पुलिस-प्रशासन पर हमला करने और भीड़ को हिंसा के लिए उकसाने, आगजनी, दंगा-फसाद और हत्या की कोशिश के मामले में बीते 22 मार्च को दोषी करार दिया था। अदालत ने इसी मामले में योगेंद्र साव और निर्मला देवी के पुत्र अंकित राज को अदालत ने साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया है। योगेंद्र साव पहले से कई आपराधिक मामलों में जेल में हैं, जबकि उनकी पत्नी निर्मला देवी को बीते 22 मार्च को दोषी करार दिये जाने के बाद न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया था। अदालत ने इन्हें आईपीसी की धारा 325, 326, 148, 307, 188, 153 और 120 बी के तहत दोषी मानते हुए सजा सुनाई है।

पूर्व मंत्री योगेंद्र साव और पूर्व विधायक निर्मला देवी ने स्थानीय ग्रामीणों के साथ मिलकर साल 2015 में एनटीपीसी के खिलाफ कफन सत्याग्रह किया था।बड़कागांव थाना क्षेत्र के चिरूडीह में आंदोलनकारियों ने खनन कार्य में लगी मशीनों को रोक दिया। इसके बाद बड़कागांव इलाके की विधायक निर्मला देवी को गिरफ्तार कर लिया गया। इसी दौरान पुलिस पर ग्रामीणों ने पथराव शुरू कर दिया। इसी बीच गांव वाले निर्मला देवी को पुलिस हिरासत से छुड़ाकर ले गए।

पुलिस ने भीड़ पर लाठीचार्ज कर दिया। बाद में पुलिस ने फायरिंग भी की, जिसमे कुछ लोगों की मौत हुई थी। इस मामले में प्रशासन ने दो दर्जन से अधिक मामले दर्ज कराये थे। इनमें11 मामलों में योगेंद्र साव बरी हो चुके हैं। इस मामले में अभियोजन पक्ष ने योगेंद्र साव के ऊपर लगे आरोपों को साबित करने के लिए 20 गवाहों के बयान कोर्ट में दर्ज करवाये थे, जबकि आरोपी योगेंद्र साव, निर्मला देवी और अंकित राज की ओर से 7 गवाह प्रस्तुत किये गये थे।

अदालत द्वारा सजा सुनाये जाने के बाद योगेंद्र साव और निर्मला देवी अब चुनाव लड़ने के लिए कानूनन अयोग्य घोषित हो जायेंगे। योगेंद्र साव दो बार और निर्मला देवी एक बार विधायक रह चुकी हैं।