G20 शिखर सम्मेलन से इतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन के बीच द्विपक्षीय वार्ता भी हुई. इस बातचीत के दौरान दोनों देशों के बीच दुनिया को 5जी से आगे जाने को लेकर एक बड़ी सहमति बनी है. दोनों देशों ने साथ मिलकर 6जी टेक्नोलॉजी डेवलप करने के लिए एक करार किया है.
इसे लेकर अलायंस फॉर टेलीकम्युनिकेशंस इंडस्ट्री सॉल्युशंस (ATIS) के ‘Next G Alliance’ और ‘Bharat 6G Alliance’ के बीच एमओयू पर साइन किए गए हैं. इस साझेदारी के तहत भारत और अमेरिका मिलकर 6जी टेक्नोलॉजी पर रिसर्च करेंगे. साथ ही नए अवसरों की तलाश करेंगे.
पूरी दुनिया को पहुंचेगा फायदा
भारत और अमेरिका के इस कदम से पूरी दुनिया को फायदा होने वाला है. दोनों देश एक कॉमन 6जी विजन पर काम करेंगे. इसके माध्यम से एक भरोसेमंद और सुरक्षित टेलीकम्युनिकेशंस नेटवर्क विकसित किया जाएगा. साथ ही साथ 6जी टेक्नोलॉजी को सपोर्ट करने वाली सप्लाई चेन को भी डेवलप किया जाएगा.
एटीआईएस का ‘Next G Alliance’उत्तरी अमेरिकी देशों में वायरलैस टेक्नोलॉजी को बढ़ावा देने की एक पहल है. इसका मुख्य फोकस अगले दशक में प्राइवेट सेक्टर की मदद से 6जी और अन्य विकास करना है. इसके लिए एक नेशनल 6जी रोडमैप बनाया गया है. साथ लोगों की सामाजिक-आर्थिक जरूरतों का ध्यान रखा गया है.
इसी तरह ‘Bharat 6G Alliance’ भारतीय उद्योग, एकेडमिक्स, नेशनल रिसर्च इंस्टीट्यूशंस और स्टैंडर्ड तय करने वाले संस्थानों का एक गठबंधन है. ये सभी मिलकर ‘भारत 6जी मिशन’ के लिए काम कर रहे हैं, जो इनोवेशन की मदद से नई टेक्नोलॉजी को डिजाइन और डेवलप करने की दिशा में काम करते हैं. इसका एक मकसद भारतीय नागरिकों और दुनिया के लोगों को हाई-क्वालिटी लाइफ एक्सपीरियंस देना है.
चीन का निकलेगा दम
भारत और अमेरिका के इस तरह साथ आने से चीन की इकोनॉमी पर एक बड़ा डेंट पड़ेगा. अभी मौजूदा 5G टेक्नोलॉजी में चीन का दबदबा है. साथ ही उसकी सप्लाई चेन में भी सबसे बड़ा रोल चीन का है. जबकि भारत और अमेरिका का करार 6जी टेक्नोलॉजी विकसित करने के साथ-साथ सप्लाई चेन को डेवलप करने पर भी जोर देगा, जो चीन की इकोनॉमी को तगड़ी चुनौती देगा.