चीन ने 1986 में तवांग इलाके में हवाई फायरिंग का इतना हंगामा मचाया था कि दिल्ली से विदेश मंत्रालय और सेना मुख्यालय (Army Headquarter) ने फॉरवर्ड पोस्ट को पीछे हटने का आदेश दिया था. हालांकि तत्कालीन ईस्टर्न कमांड के लेफ्टिनेंट जनरल वी. एन. शर्मा ने इस आदेश को मानने से इनकार कर दिया था. आखिरकार 1987 में दोनो सेनाओं में सुमदोरोंग चु में लड़ाई हुई.
चीन इस बार भी 29 अगस्त को ब्लैक टॉप पर भारतीय सेना की कार्रवाई और बाद की फायरिंग को लेकर दवाब बनाने की कोशिश कर रहा था लेकिन इसबार उसे कामयाबी नहीं हासिल हुई.
इसबार सेना के साथ विदेश मंत्रालय और सेना मुख्यालय
1986 से अलग 2020 में दिल्ली में विदेश मंत्रालय और सेना मुख्यालय अपनी सेना के साथ खड़े रहे. छठे दौर की कमांडर स्तर की बातचीत में जब चीन के डेलिगेशन ने फायरिंग का मुद्दा उठाया तो भारत ने साफ किया कि असामान्य परिस्थिति में भविष्य में भी भारतीय सेना गोली चलाने से परहेज नहीं करेगी.
लगभग 14 घंटों तक चली इस बैठक में भारतीय पक्ष में विदेश मंत्रालय और सेना मुख्यालय के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिह हुए थे. ऐसा इसलिए किया गया ताकि चार महीने से पूर्वी लद्दाख में चल रहे इस गतिरोध को खत्म करने के लिए ठोस निर्णय मौके पर ही लिए जा सकें.
15 जून को दोनों देशों के बीच हुई थी हिंसक झड़प
मालूम हो कि इस गतिरोध के दौरान 15 जून को भारत और china के सैनिकों के बीच गलवान घाटी में हिंसक झड़प हुई थी, जिसमें 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे और चीन को भी भारी नुकसान हुआ था. इस घटना के बाद इलाके में हालात और तनावपूर्ण हो गए और दोनों देशों की तरफ से वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारी संख्या में सैनिकों की तैनाती की गई.
हालांकि छठी सैन्य कमांडर स्तर की बैठक में इन मुद्दों को लेकर गहन चर्चा हुई और दोनों देश इस बात पर राजी हुए कि LAC से जुड़े इलाकों में अब कोई भी पक्ष नया निर्माण कार्य नहीं करेगा और न ही सैनिकों की तैनाती को बढ़ाएगा.