भारत (India) के आगे जब-जब चीनी (China) हुंकार भरते हैं, तब-तब उन्हें मुंह की खानी पड़ती है. इस बात का अंदाजा आज की इस खबर से आप लगा सकते हैं. भारतीय जवानों को आंख दिखाने का क्या अंजाम होता है, ये चीनी सेना अच्छे से भुगत चुकी है. इस बात का इतिहास गवाह रहा है कि, चीन ने भारत पर सामने से वॉर नहीं किया, हमेशा से ही कायरता दिखाते हुए पीछे से छूरा घोपने की कोशिश की. 20 अक्टबूर के दिन 1962 में हुए भारत-चीन के बीच युद्ध को पूरे 58 साल बीत चुके हैं. उस युद्ध में अपनी ताकत का परिचय देते हुए भारत माता के 120 वीर सपूतों ने रेजांग ला की लड़ाई में 1300 चीनी सैनिकों (Chinese soldiers) को मार गिराया था. आज हम उसी इतिहास का जिक्र करने जा रहे हैं, जो चीन की शातिराना चालों का सबूत है, और भारतीय जवानों (Indian soldier) के शौर्य की गाथा है.
भारत से छिड़ी जंग में जब चीन को लगा कि वो युद्ध को हार जाएगा, तब उसने पीठ पीछे से हमला करने का षड्यंत्र रचा. चौदह हजार फीट की ऊँचाई पर भी भारतीय जवानों ने चीनी सैनिकों से डटकर लोहा लिया. केवल 120 वीर सपूतों के आगे 1300 चीनी सैनिक पस्त हो गए और उन्हें भारतीय जवानों ने मौत के घाट उतार दिया. इस खबर के बारे में सुनने के बाद सिर्फ भारत और चीन ही नहीं बल्कि दुनिया भी हैरान रह गई थी. वो दौर था जब दुनिया भारतीय वीर सपूतों के इस कारनामें की गवाह बन गई थी.
आज के दौर में भी आए दिन चीन भारत को युद्ध जैसी धमकियां देता रहता है. लेकिन चीन उस बड़ी पराजय को भूल जाता है, जो भारत के जवानों ने उसे दी थी. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि जिस समय 120 भारतीयों ने 1300 चीनी सैनिकों का डटकर मुकाबला किया था, उस समय न तो भारत के पास आधुनिक हथियार की ताकत थी और न ही किसी भी तरह की कोई तकनीक का सहारा था. लेकिन इन कमियों के बाद भी जवानों ने ये साबित करके दिखा दिया कि चीनी सेनाओं के लिए हमारे देश के वीर सपूत ही काफी हैं.
साल 1962 के युद्ध में चीन ने कई बार भारतीयों पर सामने से वॉर किया लेकिन जब सफलता नहीं मिली तो कायराना चाल चली, और पीछे से हमला किया. लेकिन युद्ध के समय कुमाऊं रेजिमेंट की तेरहवीं बटालियन को संभाल रहे मेजर शैतान सिंह ने उस दिन अपने सैनिकों का साहस दोगुना करने के साथ ही टुकड़ी का हौसला तो बढ़ाया ही, इसके बाद उन्होंने चीनी सैनिकों को जबरदस्त मात भी दी. कहा जाता है कि उस समय अपने दम पर मेजर शैतान सिंह ने इतने चीनी सैनिकों को मारा था, जिसकी गिनती करनी मुश्किल हो गई थी.
हालांकि युद्ध में काफी समय तक लड़ने के बाद शैतान सिंह बुरी तरह से घायल हो गए थे. लेकिन दुश्मनों की परवाह किए बिना भारत की रक्षा के लिए वो एक जगह से दूसरी जगह आ जा रहे थे. ऐसे में जब वो काफी ज्यादा चोटिल हो गए तो साथी सैनिकों ने उन्हें एक बड़े पत्थर के पीछे बिठा दिया. लेकिन बताया जाता है कि, घायल अवस्था में भी शैतान सिंह ने हार नहीं मानी थी और वो पैरों से मशीन गन चला रहे थे. उनके इस साहस को देखने के बाद तो चीनी सेना भी पूरी तरह से अचंभित रह गई थी. हालांकि अगली सुबत तक शैतान सिंह भारत मां की रक्षा करते हुए शहीद हो गए थे.