केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों को लेकर पिछले दो महीनों से किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. वे पीछे हटने को तैयार नहीं हैं और कानूनों को रद्द करवाने की मांग को लेकर अड़े हुए हैं. इस बीच 26 जनवरी यानि गणतंत्र दिवस को किसानों की प्रस्तावित ट्रैक्टर रैली होना तय है. यह बात शुक्रवार को भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कही है. साथ ही साथ सरकार और किसानों के बीच हुई 11वें दौर की बैठक बेनतीजा रही है.
राकेश टिकैत ने कहा है कि योजना के अनुसार ट्रैक्टर रैली 26 जनवरी को होगी. सरकार की तरफ से कहा गया कि 1.5 साल की जगह 2 साल तक कृषि कानूनों को स्थगित करके चर्चा की जा सकती है. सरकार ने कहा अगर इस प्रस्ताव पर किसान तैयार हैं तो शनिवार को फिर से बात की जा सकती है, कोई अन्य प्रस्ताव सरकार ने नहीं दिया है.
सरकार के साथ 11वें दौर की वार्ता के बाद किसान नेताओं का कहना है कि सरकार की ओर से जो प्रस्ताव दिया गया था वो हमने स्वीकार नहीं किया. कृषि कानूनों को वापस लेने की बात को सरकार ने स्वीकार नहीं की. अगली बैठक के लिए अभी कोई तारीख तय नहीं हुई है.
किसानों और सरकार के बीच तकरीबन 12.50 मिनट पर मीटिंग शुरू हुई थी और 1 बजकर 9 मिनट पर सरकार ने कहा कि आप प्रोपोजल पर फिर से विचार करिए, साथ ही नाराजगी जताई कि बैठक की बातें और बाहर मीडिया में प्रपोजल को लेकर गैरजिम्मेदाराना बयान क्यों दिए जाते हैं?
कृषि मंत्री ने कहा, कानूनों में कोई समस्या नहीं
वहीं, कृषि मंत्री तोमर ने सहयोग के लिए यूनियनों को धन्यवाद दिया है और कहा कि कानूनों में कोई समस्या नहीं है लेकिन सरकार ने किसानों के सम्मान के लिए इन कानूनों को स्थगित रखे जाने की पेशकश की. यूनियनों से कहा कि यदि किसान तीनों कृषि कानूनों को स्थगित करने के प्रस्ताव पर चर्चा करना चाहते हैं तो सरकार एक और बैठक के लिए तैयार है.
किसान अपनी दो प्रमुख मागों पर अड़े
बुधवार को हुई बातचीत के पिछले दौर में सरकार ने तीन कृषि कानूनों के क्रियान्वयन को स्थगित रखने और समाधान निकालने के लिए एक संयुक्त समिति बनाने की पेशकश की थी. हालांकि गुरुवार को विचार-विमर्श के बाद किसान यूनियनों ने इस पेशकश को खारिज करने का फैसला किया और वे इन कानूनों को रद्द करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी दिए जाने की अपनी दो प्रमुख मांगों पर अड़े रहे.