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सुप्रीम कोर्ट का आदेश, प्राइवेट अस्पतालों में प्रायोरिटी पर हो बुजुर्गों का इलाज

सुप्रीम कोर्ट ने देशभर के प्राइवेट अस्पतालों को यह आदेश जारी किया है कि वह बुजुर्गों को प्राथमिकता के तौर पर इलाज मुहैया कराए. पिछले आदेश में सरकारी अस्पतालों को बुजुर्गों को प्राथमिकता देने को कहा था. वृद्धावस्था पेंशन को लेकर दायर पूर्व कानून मंत्री डॉक्टर अश्वनी कुमार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्देश जारी किया.

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने कहा था कि वृद्धावस्था पेंशन के पात्र सभी बुजुर्ग लोगों को समय पर पेंशन दी जानी चाहिए और कोविड-19 महामारी के दौरान राज्यों को उन्हें आवश्यक दवायें, सैनिटाइजर, मास्क और अन्य आवश्यक वस्तुयें प्रदान करनी चाहिए. शीर्ष अदालत ने कहा था कि बुजुर्ग लोगों के कोरोना वायरस संक्रमण से ग्रस्त होने की ज्यादा संभावना को देखते हुये सरकारी अस्पतालों में इन्हें प्राथमिकता के आधार पर भर्ती करना चाहिए.अस्पताल के प्रशासन इनकी परेशानियों के निदान के लिये तत्काल कदम उठायें.

इससे पहले, अश्वनी कुमार ने कहा था कि महामारी के दौरान बजुर्गों को अधिक देखभाल और सुरक्षा की जरूरत है. कोर्ट ने कहा था कि शीर्ष अदालत पहले ही 13 दिसंबर, 2018 को इस मामले में कई निर्देश दे चुकी है और इन निर्देशों का सभी राज्यों और संबंधित प्राधिकारियों को अपालन करना है.

कोरोना टीकाकरण का दूसरा चरण जारी

देश में 1 मार्च से दूसरे फेज का कोरोना वैक्सीनेशन शुरू हो गया है. टीकाकरण का आज चौथा दिन है. एक मार्च से 60 वर्ष से अधिक आयु के वरिष्‍ठ नागरिकों और गंभीर बीमारियों से पीड़ित 45 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को टीका लगाया जा रहा है. टीकाकरण के लिए लोग कोविन टू-पाइंट जीरो पोर्टल या आरोग्‍य सेतु जैसे अन्‍य आई टी ऐप्‍लीकेशन पर अपना पंजीकरण करा सकते हैं. कोरोना वैक्सीन के दूसरे चरण की शुरुआत प्रधानमंत्री मोदी ने एम्स में टीका लगवाकर की थी जिसके बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से लेकर कई हस्तियां टीका लगवा चुकी हैं.

इससे पहले बुधवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने जज, कोर्ट स्टाफ और वकीलों सहित सभी न्यायिक कर्मचारियों को फ्रंटलाइन वर्कर घोषित करने के लिए बार काउंसिल के दावे को सही ठहराया था. इस मामले में कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव, प्रमुख सचिव, दिल्ली सरकार, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और भारत बायोटेक को नोटिस जारी किया है.

कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा, न्यायिक कर्मचारियों को फ्रंटलाइन वर्कर घोषित करने के लिए किए गए दावे में दम है इसलिए वह भी उम्र सीमा और शारीरिक स्थिति की सीमाओं के बगैर कोविड वैक्सीन ले सकते हैं.