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सीमा विवादः ड्रैगन के खिलाफ आर्थिक ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ की तैयारी में मोदी सरकार

चीन (China) अपनी विस्तारवाद की नीतियों (policies of expansionism) से बाज नहीं आ रहा है। ड्रैगन के लगभग अपने सभी पड़ोसी देशों (all neighboring countries) के साथ सीमा विवाद (border dispute) चल रहा है। हाल ही में अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर (Arunachal Pradesh Tawang Sector) में चीनी सैनिकों ने भारत के हिस्से में घुसने की कोशिश की। हालांकि, भारतीय सैनिकों ने उन्हें खदेड़ दिया। केंद्र सरकार अब ड्रैगन के खिलाफ बड़े आर्थिक फैसले लेने का मन बना चुकी है। इसका असर साल 2023-24 के लिए संसद में पेश किए जाने वाले बजट (budget to be presented in parliament) पर भी देखने को मिल सकता है। इस बजट में चीन से भारत (India) की आयात निर्भरता को कम (reduce import dependency) करने के उपायों की घोषणा की जा सकती है। ‘आत्मनिर्भर भारत’ के अपने अभियान के आगे बढ़ाते हुए मोदी सरकार कड़े फैसले ले सकती है। इस मामले से अवगत दो अधिकारियों ने यह जानकारी दी है।

केंद्र सरकार के इस फैसले से भारत में सीधे आयात किए गए चीन में तैयार सामानों के प्रवेश पर प्रतिबंध लग सकता है। चीन के लिए यह किसी सर्जिकल स्ट्राइक से कम नहीं होगा, क्योंकि भारत चीनी सामानों का एक बड़ा बाजार है। हालांकि, भारत अपने पड़ोसी देशों से कच्चे माल का आयात करना जारी रखेगा।

एक अधिकारी ने कहा कि चीन में तैयार उत्पादों की आमद की जांच करने का एक तरीका सीमा शुल्क को फिर से जांचना है। कई मदों पर सीमा शुल्क के पुनर्गठित होने की उम्मीद है। इसे बढ़ाने पर विचार किया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार अपने ‘मेक इन इंडिया’ अभियान को भी इस बजट में प्रोत्साहित कर सकती है।

भारतीय कंपनियों और सरकारी विभागों ने 100 से अधिक चीनी उत्पादों को अब तक बैन किया है। इनमें पॉलिएस्टर यार्न, ऑप्टिकल फाइबर, सौर सेल, विनाइल टाइलें, सैकरिन, नेत्र लेंस, विभिन्न स्टील आइटम, रसायन, चीनी मिट्टी की चीज़ें, टेबलवेयर, रसोई के बर्तन, कांच के बने सामान, एल्युमिनियम फॉयल और एमोक्सिसिलिन और ओफ़्लॉक्सासिन जैसे फार्मास्युटिकल फॉर्मूलेशन शामिल हैं। दूसरे अधिकारी ने कहा कि चीन के खिलाफ उचित कार्रवाई के लिए गंभीरता से विचार किया जा रहा है। उम्मीद है कि इस बजट में इस मुद्दे का समाधान निकलेगा।

उन्होंने कहा, ”हाल ही में चीन से आयात में गिरावट आई है। वैश्विक स्तर पर मांग में कमी के कारण कीमतों में गिरावट भी एक कारण हो सकता है। सरकार की आत्मानिर्भर भारत की नीति ने भी इसमें एक प्रमुख भूमिका निभाई है।”

आपको बता दें कि वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर 2022 में चीन से भारत का माल आयात 9.73% घटकर 7.85 अरब डॉलर हो गया। एक साल पहले इसी महीने में यह 8.7 अरब डॉलर था।

विशेषज्ञों ने कहा कि स्थानीय निर्माण को बढ़ावा देने के लिए सरकार की व्यापार नीति और उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना चीन पर अत्यधिक निर्भरता को कम करने में अच्छी तरह से काम कर रही है। उनका कहना है कि बजट उसी नीति रेखा को आक्रामक रूप से आगे बढ़ा सकता है।