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सहारनपुर: रामलीला में राम वनवास की लीला का मंचन हुआ धूं-धूं कर जली रावण की लंका, अंगद ने तोड़ा अभिमान

रिर्पोट :- गौरव सिंघल, विशेष संवाददाता,दैनिक संवाद,सहारनपुर मंडल,उप्र:।।
देवबंद (दैनिक संवाद न्यूज)। मानवीय कल्याण समिति लेबर कॉलोनी की ओर से लेबर वेलफेयर सेंटर में आयोजित श्री रामलीला के सातवें दिन भारी संख्या में दर्शक पहुंचे और रावण की लंका दहन समेत अंगद-रावण संवाद के सुंदर मंचन का आनंद लिया। रावण जब हनुमान जी की पूंछ में आग लगवा देते हैं तो हनुमान जी रावण की सोने की लंका को जलाकर रावण के अहंकार को ध्वस्त कर देते हैं। इस दृश्य का मंचन देखकर आयोजन स्थल पर मौजूद लोग हनुमान जी और जय श्रीराम का जयघोष करने लगते हैं।
रामलीला शुरू होते ही निर्देशक संजीव आर्यन और उनके साथी कलाकारों का शानदार अभिनय देखने को मिला। वानर सेना माता सीता की खोज में निकल पड़ती है। समुद्र तट पर जामवंत जी हनुमान जी को उनकी शक्ति याद दिलाते हैं। जिसके बाद हनुमान जी लंका के लिए उड़ान भर लेते हैं। समुद्र के ऊपर से जाते समय हनुमान जी का रास्ता सुरसा रूकती है। अनुनय विनय के बाद भी बात ना बनने पर सुरसा के मुंह का फैलाव 32 योजन होते ही हनुमान जी सूक्ष्म रूप धर मुख में प्रवेश कर बाहर आ जाते हैं। सुरसा उनकी बुद्धि की प्रशंसा करने के साथ ही रामकार्य पूर्ण करने का आशीर्वाद देती है।
मच्छर रूप धारण कर लंका में प्रवेश करते सुरक्षा में तैनात लंकिनी हनुमान जी का रास्ता रोकती है। उनके घूंसे के प्रहार से ही लंकिनी के मुख से खून निकलने लगता है। कुटिया से राम-राम की आवाज सुन हनुमान जी अंदर जाते हैं और सामने विभीषण को पाते हैं। ब्राह्मण वेश हनुमान जी का परिचय पाते ही विभीषण प्रणाम करते हैं और माता सीता का पता बताते हैं। अशोक वाटिका पहुंचे हनुमान जी, सीताजी पर रावण द्वारा किए जा रहे अत्याचार से व्यथित हो जाते हैं। इसके बाद भोजन करते समय उत्पात मचाने के चलते जब हनुमान जी को रावण के दरबार में लाया जाता है उस दौरान अहंकारी रावण हनुमान जी की पूंछ में आग लगाने का आदेश देते हैं। लेकिन पल भर में हनुमान जी रावण की सोने की लंका को जला कर राख कर देते हैं और सीता जी से आशीर्वाद ले पुनः प्रभु श्री राम के पास आकर पूरा हाल बताते हैं।
जिसके बाद लंका पर चढ़ाई के लिए प्रभु निर्देश देते हैं। लंका जाने के बाद अंतिम वार्ता के लिए प्रभु श्री राम बाली पुत्र अंगद को अपना दूत बनाकर भेजते हैं। अंगद और रावण में जबरदस्त संवाद होता है। जिससे मौके पर मौजूद दर्शक तालियों के साथ कलाकारों का हौंसला अफजाई करने लगते हैं। रावण की सेना का थाह लेने के लिए अंगद जी अपने पैर जमीन पर रखकर भरी सभा में सभी को पैर उठाने की चुनौती देते हैं लेकिन कोई भी योद्धा हनुमान जी के पैर को 1 इंच भी टस से मस नहीं कर पाता है। जिसके बाद रावण स्वयं आता है लेकिन अंगद अपना पैर हटा लेते हैं और प्रभु श्री राम की शरण में जाने के लिए कहते हैं। साथ ही साथ रावण के न मानने पर युद्ध का उद्घोष कर के अंगद पुनः श्री राम के पास लौट आते हैं। रावण रूप में ठाकुर रामाशंकर सिंह, हनुमान जी उमेश कुमार प्रजापति, श्री राम जी संजीव आर्यन, लक्ष्मण जी मोहित और अंगद के रोल को विनोद बहुखंडी ने निभाकर लीला की रात्रि को यादगार बना दिया। इससे पूर्व मुख्य अतिथि के तौर पर पहुंचे मेयर संजीव वालिया, मुरली खन्ना, गगन वालिया आदि अतिथियों का कमेटी के सदस्यों ने स्वागत कर स्मृति चिन्ह दिया। लीला के दौरान मानवीय कल्याण समिति के प्रधान राजकुमार त्यागी, ठाकुर रामाशंकर सिंह, महामंत्री संदीप धीमान, राजेंद्र गुप्ता गर्ग, प्रदीप कपिल, घनश्याम पंत, लक्ष्मी नारायण वर्मा, सतेंद्र रावत, सौरभ शर्मा, संतोष शाह निरहुआ, अरुण त्यागी, विजय गुप्ता, सतीश चौधरी, विनोद कुमार, चिंटू त्यागी समेत कमेटी के सभी सदस्य और हज़ारों की संख्या में दर्शक  उपस्थित रहे।