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सहारनपुर मंडल में त्रिवेणी ग्रुप समेत चार चीनी मिलें गन्ना भुगतान में अव्वल, बाकी चीनी मिलें बुरी तरह पिछड़ी हैं : डा. दिनेश्वर मिश्र

रिपोट :- सुरेंद्र सिंघल/गौरव सिंघल, विशेष  संवाददाता,दैनिक संवाद, सहारनपुर मंडल।

सहारनपुर। सहारनपुर मंडल में गन्ना मूल्य भुगतान के मामले में जहां त्रिवेणी ग्रुप की देवबंद और खतौली यूनिट अव्वल हैं वहीं सहकारी चीनी मिलें मोरना, सरसावा और नानौता पिछड़ी हुई हैं और इनसे भी ज्यादा बुरी हालत बजाज ग्रुप की गांगनौली, बुढ़ाना एवं थाना भवन की है। गन्ना मूल्य भुगतान की अभी तक की स्थिति की जानकारी देते हुए मंडल के उप गन्ना आयुक्त डा. दिनेश्वर मिश्र ने  बताया कि मंडल में कुल 17 चीनी मिलें हैं जिन्होंने अभी तक 3250 करोड़ रूपए गन्ना मूल्य का भुगतान किया है। सभी चीनी मिलें चालू हैं और गन्ना पेराई कर रही हैं। ध्यान रहे पिछली सरकारों की तुलना में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकार ने गन्ना किसानों को खास तवज्जो दी है। हैरत की बात यह है कि राज्य सरकार और गन्ना विभाग की सजगता के बावजूद बजाज ग्रुप गन्ना मूल्य भुगतान के मामले में फिसड्डी बना हुआ है।

डा. दिनेश्वर मिश्र का कहना है कि इस ग्रुप की हालत खस्ता लगती है। जबकि त्रिवेणी ग्रुप का प्रबंधन और सोच दोनों बेहतर है और इन चीनी मिलों को गन्ना आपूर्ति करने वाला किसान खुश भी है और खुशहाल भी है। यदि दूसरी चीनी मिलें भी इस ग्रुप का अनुशरण करती तो प्रदेश में सहारनपुर मंडल गन्ना मूल्य भुगतान में आदर्श स्थिति में रह सकता था। डा. मिश्र के अनुसार त्रिवेणी ग्रुप की देवबंद यूनिट ने तीन अप्रैल तक 403-12 करोड़ का भुगतान किया है। इसी ग्रुप की खतौली चीनी मिल ने भी तीन अप्रैल तक का भुगतान कर दिया है। खतौली ने 588 करोड़ का भुगतान किया है। डा. मिश्र ने बताया कि त्रिवेणी की देवबंद इकाई पिछले कुछ सालों से 90 से 95 क्विंटल प्रतिदिन की क्षमता से गन्ना पेराई कर रही है।

 

इसकी 40 क्विंटल प्रतिदिन की एक यूनिट 1213 सालों से बंद है। इस यूनिट के भी अगले पेराई सत्र से शुरू हो जाने की उम्मीद है। उससे देवबंद यूनिट 140 क्विंटल प्रतिदिन पेराई कर सकेगी। डा. मिश्र के अनुसार सहारनपुर मंडल गन्ने की पैदावार में महत्वपूर्ण स्थान रखता हैं। जिन इलाकों की चीनी मिलें 14 दिन की समयावधि के अनुसार भुगतान कर रही हैं वहां किसानों की सभी जरूरतें पूरी हो रही हैं। गन्ना विभाग उन्नत प्रजातियों के गन्ने की बुआई को लेकर अग्रसर है। डा. मिश्र ने बताया कि मंसूरपुर चीनी मिल ने चार अप्रैल तक 39962 करोड़ का भुगतान किया है। टिकौला चीनी मिल ने आठ अप्रैल तक का 45488 करोड़ का भुगतान किया है। इन चीनी मिलों के अलावा बाकी चीनी मिलों का भुगतान तसल्ली बख्स नहीं है।

गन्ना उपायुक्त डा. मिश्र ने बताया कि तितावी चीनी मिल ने 15 मार्च तक का गन्ना मूल्य भुगतान 36931 करोड़, खाईखेड़ी चीनी मिल ने 14 मार्च तक 8694 करोड़, रोहाना चीनी मिल ने 14 मार्च तक 8693 करोड़, शेरमऊ चीनी मिल ने सात मार्च तक 19972 करोड़ का भुगतान किया है। नानौता सहकारी चीनी मिल 28 जनवरी तक का 10959 करोड़ का ही भुगतान कर पाई हैं। इसी तरह चीनी मिल निगम की सरसावा 27 जनवरी तक का 7571 करोड़ का भुगतान कर पाई है। मोरना सहकारी चीनी मिल का भुगतान भी निराशाजनक है। यह मिल 17 जनवरी तक का 6650 करोड़ का भुगतान ही कर सकी है। ऊन चीनी मिल ने 17 दिसंबर 2021 तक का भुगतान 7339 करोड़ और शामली ने 24 नवंबर 2021 तक 3472 करोड़ का भुगतान किया। इसी तरह बजाज ग्रुप की थानाभवन चीनी मिल ने 30 नवंबर 2021 तक का 7755 करोड़, गांगनौली चीनी मिल ने 25 नवंबर 2021 तक का 4696 करोड़ और बुढ़ाना ने 23 नवंबर 2021 तक  5579 करोड़ का भुगतान किया है। यानि मंडल में पांच चीनी मिलें ऐसी हैं जो गन्ना मूल्य भुगतान में पांच से छह महीने पिछड़ी हुई हैं। यह स्थिति बेहद चिंताजनक है। गन्ना मूल्य भुगतान में मंडल में त्रिवेणी ग्रुप के लीड करने से किसानों में इसकी छवि और स्वीकारियता बढ़ी है। किसान इन चीनी मिलों को ही अपने गन्ने की आपूर्ति करना पसंद करते हैं। राज्य सरकार और गन्ना विभाग अप-टू-डेट भुगतान करने वाली चीनी मिलों को इस तरह की अतिरिक्त सुविधाएं देता है। यह देखने की बात होगी।