एक निश्चित समय में इंटरनेट सेवा बंद करने लिए स्पष्ट मापदंड की कमी को लेकर संसदीय समिति ने सरकार की खिंचाई की है। संचार और सूचना प्रौद्योगिकी वाली स्थायी समिति ने ‘दूरसंचार सेवा/इंटरनेट निलंबन और उसके प्रभाव’ पर अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सरकार इंटरनेट बंद करने के बजाय सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को बंद करने का विकल्प तलाशे, जिनका संकट के समय आतंकी या राष्ट्रविरोधी ताकतें खास क्षेत्र में अशांति फैलाने के लिए दुरुपयोग करते हैं।
समिति ने सुझाव दिया है कि सरकार ऐसी संभावना तलाशने के लिए व्यापक अध्ययन कराए, ताकि इंटरनेट सेवा बंद होने पर अर्थव्यवस्था पर उसके प्रभाव का आकलन किया जा सके और लोगों की सुरक्षा और आपात स्थिति में उससे किस तरह कारगर तरीके से निपटा जा सकता है।
समिति ने सेवा को चुनिंदा तौर पर बंद करने को लेकर कहा, यदि दूरसंचार विभाग इंटरनेट को पूरी तरह बंद करने के बजाय फेसबुक, व्हाट्सएप, टेलिग्राम आदि सेवाओं को बंद करने के विकल्पों को तलाशे तो इससे बड़ी राहत मिलेगी। इससे वित्तीय सेवाओं, स्वास्थ्य, शिक्षा और बाकी अन्य सेवाएं प्रभावित नहीं होंगी।
इसके अलावा अशांति या उपद्रव के दौरान आम लोगों को कम से कम असुविधा होगी और अफवाह फैलाने पर भी अंकुश लगेगा। समिति ने इस बात पर जोर दिया है कि विभाग दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (टीआरएआई) के सुझाव पर तत्काल गौर करे और ऐसी नीति बनाए जिससे चुनिंदा तौर पर ओटीटी सेवा को बंद करने के बजाय अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर रोक लगे, जो संकट के समय आतंकियों और देशविरोधी ताकतों के टूल बनते हैं।