अहमदाबाद की एक जिला उपभोक्ता आयोग ने बीमा कंपनी को एक मरीज को मेडिक्लेम का ब्याज सहित भुगतान करने का आदेश दिया है। दरअसल, बीमा कंपनी ने शख्स को बीमा क्लेम देने से सिर्फ इसलिए इनकार कर दिया था कि वो शाकाहारी है इसलिए पूरा आहार न मिल पान की वजह से उसके स्वास्थ्य में दिक्कतें आई। आयोग ने अपने आदेश में कहा कि शाकाहारी होना मरीज की गलती नहीं है। कंपनी के दावे को आयोग ने खारिज किया।
मामला, अहमदाबाद में अक्टूबर 2015 का है। सप्ताहभर इलाज के लिए निजी अस्पताल के चक्कर लगाने के बाद मीत ठक्कर ने चक्कर, मतली, कमजोरी और शरीर के बाएं हिस्से में भारीपन का इलाज करवाया। उसे ट्रांसिएंट इस्केमिक अटैक (टीआईए) बीमारी का पता चला था। उसे इलाज में कुल एक लाख रुपए का खर्च आया।
हालांकि मीत ठक्कर ने अपनी बीमा कंपनी न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड से मेडिक्लेम मांगा। उधर, कंपनी ने अपने निजी डॉक्टर की राय पर मीत का मेडिक्लेम रिजेक्ट कर दिया। कंपनी ने अपनी तरफ से मीत को जवाब में कहा कि उसे यह बीमारी विटामिन बी 12 की कमी की वजह से हुई है। वह शाकाहारी है और उसे इस कमी को पूरी करने के लिए नॉनवेज खाना चाहिए था।
उधर, कंपनी का जवाब मिलने के बाद मीत ने उपभोक्ता आयोग में बीमाकर्ता के खिलाफ मुकदमा दायर किया। मामले की सुनवाई के बाद, आयोग ने कहा कि शाकाहारियों को बी12 की कमी का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन ठक्कर की स्वास्थ्य जटिलता को उनके अपर्याप्त आहार या उनकी अपनी गलती के कारण नहीं माना जा सकता है।
आयोग ने आहे कहा कि डॉक्टर ने कहा था कि आमतौर पर शाकाहारी लोग बी12 की कमी से पीड़ित होते हैं, लेकिन बीमा कंपनी ने इसका गलत मतलब निकाला और क्लेम खारिज कर दिया। आयोग ने अक्टूबर 2016 से बीमाकर्ता को 9% ब्याज के साथ 1 लाख रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया है। साथ ही मानसिक पीड़ा देने और कानूनी खर्च के लिए मुआवजे के रूप में 5,000 रुपये का अतिरिक्त भुगतान भी करना होगा।