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‘रूस की सेना ने नष्‍ट किया दुन‍िया का सबसे बड़ा व‍िमान’, यूक्रेन के व‍िदेश मंत्री दिमित्री कुलेबा का दावा

रूस के ख‍िलाफ जारी युद्ध के बीच यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्री कुलेबा (Dmytro Kuleba) ने बताया है कि रूसी हमले से दुनिया के सबसे बड़े विमान एंटोनोव-225 मिरिया (Antonov-225 Mriya) को नष्‍ट हो गया है. उन्होंने कहा कि इस जहाज को यूक्रेन में ‘द ड्रीम’ कहा जाता है. इस व‍िमान को यूक्रेनी एयरोनॉटिक्स कंपनी एंटोनोव ने बनाया था और इसकी गिनती दुनिया के सबसे बड़े कार्गो विमान के रूप में होती थी. दिमित्री कुलेबा ने बताया कि यह विमान रूसी गोलाबारी के कारण कीव के बाहर होस्टोमेल हवाई अड्डे पर कथित तौर पर जला दिया गया.

उन्‍होंने ट्वीट करते हुए ल‍िखा, ‘दुनिया का सबसे बड़ा विमान मिरिया (द ड्रीम) कीव के पास एक हवाई क्षेत्र में रूसी सैनिकों द्वारा नष्ट कर दिया गया. हम विमान का पुनर्निर्माण करेंगे, हम एक मजबूत, स्वतंत्र और लोकतांत्रिक यूक्रेन के अपने सपने को पूरा करेंगे.’ विदेश मंत्री के अलावा यूक्रेन के ट्विटर हैंडल ने भी इसे लेकर एक ट्वीट किया और विमान की एक फोटो को ट्वीट करते हुए मैसेज लिखा, ‘उन्होंने हमारे सबसे बड़े विमान को जला दिया लेकिन हमारी सपने कभी नष्ट नहीं होंगे.’

क्‍या थीं व‍िमान की खास‍ियत

यूक्रेन के इस व‍िमान की खास‍ियत यह है कि यह ब‍िना र‍िफ्यूलिंग के 18 घंटे तक ब‍िना रुके उड़ान भर सकता था. यह कार्गो प्‍लेन 600 टन वजनी था और एक बार में 640 तक का वजन ले जाने में सक्षम था. इस व‍िमान में 117 टन वजनी इलेक्‍ट्रिक जनरेटर लगा हुआ था. यह दुन‍िया का एकमात्र ऐसा व‍िमान था, ज‍िसका विंग एर‍िया बोइंग 747 प्‍लेन के विंग एर‍िया से तकरीबन दोगुना है. लंबे समय तक इस व‍िमान का इस्‍तेमाल सोव‍ियत आर्मी द्वारा किया जाता था. इस मालवाहक विमान का संचालन यूक्रेन की एंटोनोव एयरलाइंस द्वारा किया गया था.

यूक्रेन को एक झटके में हो गया 3 बिलियन डॉलर का नुकसान

माना जा रहा है कि ‘मिरिया’ को बहाल करने के लिए 3 बिलियन डॉलर (2.7 बिलियन यूरो) से अधिक खर्च होंगे, साथ ही ऐसा करने में पांच साल का समय लग जाएगा. यूक्रेन रूस से इस नुकसान की भरपाई करने की उम्मीद कर रहा है. सरकारी हथियार निर्माता उक्रोबोरोनप्रोम ने एएफपी के हवाले से कहा, ‘हमारा मिशन यह सुनिश्चित करना है कि इन खर्चों को रूस द्वारा कवर किया जाए, जिसने जानबूझकर यूक्रेन के विमानन को नुकसान पहुंचाया है.’ शुरुआत में सोवियत संघ के कार्यक्रम के हिस्से के रूप में एन-225 ने 1988 में अपनी पहली बार उड़ान भरी थी.