पंजाब कांग्रेस की रार खत्म नहीं हो रही है। अब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और तकनीकी शिक्षा मंत्री राणा गुरजीत सिंह ने पंजाब कांग्रेस प्रधान नवजोत सिद्धू पर पार्टी के भीतर विभाजन पैदा करने की कोशिश करने और पुराने कांग्रेसियों की वफादारी पर सवाल उठाने के लिए हमला बोला है।
सिद्धू को भाड़े का सिपाही बताते हुए राणा ने कहा, कि एक सच्चे कांग्रेसी के बारे में बात करते हुए सिद्धू अपनी भाषा पर ध्यान दें। राणा ने कहा कि सिद्धू भाड़े के व्यक्ति की तरह हैं, जो सिर्फ मुख्यमंत्री बनने के एकमात्र उद्देश्य से पार्टी में शामिल हुए हैं, जबकि मैं जन्मजात कांग्रेसी हूं।
पिछले दिनों सुल्तानपुर लोधी में एक रैली के दौरान सिद्धू ने कैप्टन अमरिंदर सिंह पर निशाना साधते हुए कहा था कि कैप्टन ने मुझे घर बैठाया था। मुझे कहा था कि सिद्धू के लिए मेरे दरवाजे बंद हैं। आज बाबा नानक ने राजे-राणे सब मिटा दिए।
सिद्धू की कोई विचारधारा नहीं है
राणा ने कहा कि सिद्धू व्यापारी की तरह कांग्रेस में एकमात्र उद्देश्य के लिए शामिल हुए हैं। उनकी कोई विचारधारा नहीं है। उन्होंने कहा कि यह विडंबना है कि जिसने पार्टी में पांच साल भी नहीं बिताए हैं, वह हम जैसे लोगों को उपदेश दे रहा है, जिन्होंने पार्टी की सेवा में अपना पूरा जीवन बिताया है।
उन्होंने कहा कि जिस तरह का सिद्धू का व्यवहार है, कोई नहीं जानता कि वे विधानसभा चुनाव तक कांग्रेस में रहेंगे या पार्टी छोड़ देंगे। राणा ने कहा कि वैसे वे जितनी जल्दी पार्टी छोड़ें, उतना पार्टी के लिए बेहतर होगा क्योंकि उन्होंने पार्टी को भीतर से विभाजित और क्षतिग्रस्त कर दिया है।
चन्नी की लोकप्रियता से जलते हैं सिद्धू
उन्होंने सिद्धू की अपनी सरकार और मुख्यमंत्री चरणजीत चन्नी का विरोध करने की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि सिद्धू जनता के बीच सीएम चन्नी की लोकप्रियता को लेकर ईर्ष्या और असुरक्षित महसूस करने लगे हैं। पार्टी अध्यक्ष के रूप में उनकी मुख्य जिम्मेदारी पार्टी को एकजुट रखना है, लेकिन आपने पार्टी आलाकमान द्वारा गठित अभियान समिति, घोषणापत्र समिति और स्क्रीनिंग कमेटी में दरार पैदा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।