केंद्र सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी (Rajiv Gandhi ) हत्याकांड के 6 दोषियों को रिहा करने के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से दोबारा विचार करने की मांग की है. 11 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने नलिनी, जयकुमार, मुरुगन समेत 6 लोगों को इस आधार पर रिहा किया था कि वह 30 साल से अधिक समय तक जेल में रह चुके हैं. केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका(review petition) दाखिल करते हुए कहा है कि 6 लोगों की रिहाई का आदेश देते समय उसका पक्ष नहीं सुना गया.
सरकार ने यह भी कहा कि छह में से चार दोषी श्रीलंकाई थे और देश के पूर्व प्रधानमंत्री (Prime minister) की हत्या के जघन्य अपराध के लिए आतंकवादी होने का दोषी ठहराया गया था. न्यायाधीश बीआर गवई और बीवी नागरत्ना की पीठ ने जेल में दोषियों के अच्छे आचरण को ध्यान में रखते उनकी रिहाई का आदेश दिया था.
कोर्ट ने किया था रिहा
आरोपियों का रिहा करते हुए अदालत ने कहा था कि ये फैसला कैदियों के अच्छे व्यवहार और मामले में दोषी ठहराए (blame) गए एक अन्य व्यक्ति एजी पेरारीवलन की मई में रिहाई पर आधारित था. जिसमें कहा गया था कि गिरफ्तारी के समय वह 19 साल का था और 30 साल से अधिक समय तक जेल में रहा था.
कांग्रेस ने की थी फैसले का आलोचना
कांग्रेस ने इस फैसले की तीखी आलोचना करते हुए कहा था कि पूर्व पीएम राजीव गांधी के हत्यारों को मुक्त करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का फैसला पूरी तरह से अस्वीकार्य और पूरी तरह से गलत है. बता दें कि, 21 मई 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या हुई थी. इसे आतंकवादी संगठन लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (LTTE) ने अंजाम दिया था.