कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम (P Chidambaram) ने राजद्रोह के कानून (Sedition Law) के संदर्भ में कानून मंत्री किरेन रिजिजू (Law Minister Kiren Rijiju) की ओर से लोकसभा में दी गई जानकारी को लेकर शनिवार को उन पर निशाना साधते हुए कहा कि लगता है कि रिजिजू सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की कार्यवाही की खबरें देने वाले अखबार नहीं पढ़ते. रिजिजू ने उन पर पलटवार करते हुए कहा कि वह भले ही अखबार नहीं पढ़ते हों, लेकिन यह जानते हैं कि खबरें कभी भी आधिकारिक रिकॉर्ड का हिस्सा नहीं बनतीं. उन्होंने चिदंबरम से यह सवाल भी किया कि कांग्रेस की सरकारों में लोगों के खिलाफ राजद्रोह के कितने हजार मामले दर्ज किए गए?
पूर्व गृह मंत्री चिदंबरम ने ट्वीट किया, ‘कानून मंत्री ने कहा कि राजद्रोह से संबंधित कानून को निरस्त करने का कोई भी प्रस्ताव गृह मंत्रालय (Home Ministry) के पास नहीं है.’ उन्होंने यह नहीं बताया कि गृह मंत्रालय के पास ये प्रस्ताव जरूर है कि राजद्रोह के कानून के तहत बहुत सारे निर्दोष लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया जाए.’ उन्होंने रिजिजू पर तंज कसते हुए यह भी कहा, ‘कानून मंत्री ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से राजद्रोह के कानून के संदर्भ में कोई टिप्पणी किए जाने का कोई रिकॉर्ड नहीं है. उन्होंने यह नहीं बताया कि वह सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही की खबरें देने वाले अखबार नहीं पढ़ते.’
‘कांग्रेस सरकारों ने राजद्रोह के कितने मामले दर्ज किए?’- रिजिजू
रिजिजू ने उनके ट्वीट को रिट्वीट करते हुए पलटवार किया, ‘कांग्रेस की सरकारों द्वारा लोगों के खिलाफ राजद्रोह के कितने हजार मामले दर्ज किए गए? कानून मंत्री भले ही अखबार नहीं पढ़ता हो, लेकिन वह जानता है कि मीडिया की खबरें विभागों के आधिकारिक रिकॉर्ड का हिस्सा नहीं बनतीं. माननीय हाईकोर्ट इससे अवगत है कि कैसे टिप्पणियां करनी हैं और कैसे औपचारिक आदेश पारित करना है.’ गौरतलब है कि केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री रिजिजू ने शुक्रवार को लोकसभा (Lok Sabha) में कहा था कि राजद्रोह से जुड़ी भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए (Section 124A of IPC) को हटाने से संबंधित कोई प्रस्ताव गृह मंत्रालय के पास विचाराधीन नहीं है.
उन्होंने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा था कि धारा 124ए से संबंधित ‘कानून का सवाल’ सुप्रीम कोर्ट के पास लंबित है. एआईयूडीएफ के नेता बदरुद्दीन अजमल ने उनसे सवाल किया था कि क्या सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में राजद्रोह से संबंधित कानून को औपनिवेशिक करार दिया है और कहा है कि इस कानून का दुरुपयोग हो रहा है? इसके जवाब में कानून मंत्री ने कहा था, ‘सुप्रीम कोर्ट के किसी फैसले या आदेश में ऐसी टिप्पणी नहीं है.’