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यूपी पंचायत चुनाव 2021 : रुदौली की एक तिहाई सीटों पर कराना होगा उपचुनाव

अयोध्या : ग्राम पंचायतों में लोकतंत्र की बुनियाद माने जाने वाले ग्राम पंचायत सदस्य पद के प्रति लोगों का रुझान घटने लगा है। पंचायतों में सदस्यों की प्रभावी भूमिका न होने से लोग इस पद पर चुनाव लड़ने से कतराने लगे हैं। एक समय था कि पंचायत सदस्य गांव के छोटे- छोटे मामलों का निपटारा किया करते थे। पंचायतों के विकास में अहम रोल निभाने वाले ज्यादातर ग्राम पंचायत सदस्य प्रधान के जेबी बनकर रह जाते हैं। ग्राम पंचायत सदस्य पद की लगभग एक तिहाई सीटों पर उम्मीदवार नामांकन करने नहीं आए। ऐसे में ग्राम पंचायतों के गठन के बाद ऐसी सीटों पर उपचुनाव कराना मजबूरी होगा।

97 ग्राम पंचायतों वाले रुदौली ब्लॉक में सदस्य के 1243 पद हैं। यहां पर सदस्य पद के लिए 1397 लोगों ने नामांकन दाखिल किया। कई सीटों पर कई उम्मीदवार तो कुछ उम्मीदवार के इंतजार में रिक्त रह गईं। मवई ब्लॉक में पंचायत सदस्य के 723 पद है। यहां 973 दावेदार मैदान में उतरे। प्रधान पद पर उम्मीदवारों की दिलचस्पी दिखी। प्रधान पद की एक-एक सीट पर कई उम्मीदवारों ने नामांकन किया है।

रुदौली व मवई ब्लॉक में आधे से ज्यादा ग्राम पंचायत सदस्य पद की सीटों पर निर्विरोध निर्वाचन होना तय है। इन आंकड़ों से ही स्पष्ट है कि सदस्य पद के लिए लोगों में रुझान कम हुआ है। ग्राम पंचायत एथर में 11 सदस्यों में से छह, सराय मुगल में 15 सदस्य व पकडि़या ग्राम पंचायत के पांच सदस्यों का निर्विरोध निर्वाचित होना तय हो चुका है।

कई ग्राम पंचायतों में नहीं पूरा होगा कोरम

ग्राम पंचायत सदस्य की सीट रिक्त होने से कई ग्राम पंचायतों में सदस्यों का कोरम तक नहीं पूरा हो रहा। कई स्थानों पर सदस्य के लिए प्रधान पद के उम्मीदवार अपने पास से पर्चा दाखिल कराते नजर आए। गांवों में छह समितियों के गठन का प्रावधान है। निर्माण, स्वास्थ्य, जल प्रबंधन, भूमि प्रबंधन सहित अन्य समितियों में सदस्यों का अहम रोल रहता है। खुली बैठकें, पेंशन, पट्टा, आवंटन जैसे अन्य कार्य सदस्यों के बहुमत के बिना पारित नहीं होते। खुली बैठकों की जानकारी सदस्यों को नहीं होती। वे रस्म अदायगी तक सीमित रहती हैं। सदस्य की अनुमति के बगैर ही तमाम कार्य प्रधान कर लेते हैं।

 

ग्राम पंचायत सदस्य की भूमिका गांव के विकास में प्रधान के अलावा ग्राम पंचायत सदस्यों की अहम भूमिका होती है। गांव के विकास के लिए बनने वाली समितियों में भी ग्राम पंचायत सदस्य होते हैं। ग्राम पंचायत के 1/3 सदस्य किसी भी समय हस्ताक्षर करके लिखित रूप से बैठक बुलाने की मांग करते हैं, तो 15 दिनों के अंदर ग्राम प्रधान को इस पर अमल करना होता है।