मध्य म्यांमार में आम नागरिकों की भीड़ पर हवाई हमले करके सेना ने मंगलवार को 100 लोगों को मार दिया। ये लोग सैन्य शासन (military rule) के विरोधियों की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में जमा हुए थे। सेना ने फरवरी 2021 में आंग सान सू ची की निर्वाचित सरकार का तख्तापलट (coup) कर दिया था और उसके बाद से ही सेना अपने शासन के खिलाफ प्रदर्शनों को दबाने के लिए लगातार हवाई हमले करती रही है। तख्तापलट के बाद से सुरक्षा बलों की कार्रवाई में म्यांमार में 3,000 से अधिक नागरिकों के मारे जाने का अनुमान है।
संयुक्त राष्ट्र ने आम नागरिकों पर म्यांमार की सेना के हवाई हमले की कड़े शब्दों में निंदा की है। UN महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने इसके लिए जिम्मेदार लोगों को गिरफ्तार करने की मांग करते हुए आम नागरिकों के खिलाफ सेना के अभियान को समाप्त करने का भी आह्वान किया है। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर तुर्क (United Nations High Commissioner for Human Rights Volker Turk) ने बयान जारी कर कहा कि हवाई हमले की रिपोर्ट काफी परेशान करने वाली है। उन्होंने कहा कि ऐसा लग रहा है कि पीड़ितों में हॉल में नृत्य कर रहे स्कूली बच्चे और उद्घाटन समारोह में भाग लेने वाले अन्य नागरिक शामिल हैं। दूसरी तरफ, सेना ने अंतरराष्ट्रीय आरोपों का खंडन किया है कि वह नागरिकों पर अत्याचार करती है। उसका कहना है कि वह देश को अस्थिर करने के लिए लड़ रहे आतंकवादियों से लोहा ले रही है।
‘द एसोसिएटेड प्रेस’ ने एक प्रत्यक्षदर्शी के हवाले से बताया कि एक लड़ाकू विमान ने सागैंग क्षेत्र की कनबालु टाउनशिप में पाजिगी गांव के बाहर सेना का विरोध करने वाले समूह नेशनल यूनिटी गवर्नमेंट (एनयूजी) के स्थानीय कार्यालय के उद्घाटन के लिए सुबह आठ बजे वहां जमा हुए लोगों की भीड़ पर गोलीबारी और बमबारी की। यह क्षेत्र देश के दूसरे सबसे बड़े शहर मांडले से लगभग 110 किलोमीटर उत्तर में है। प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि हेलिकॉप्टर के जरिए गोलीबारी की गई। उन्होंने बताया कि उद्घाटन समारोह में करीब 150 लोग जमा हुए थे और मरने वालों में महिलाएं तथा 20-30 बच्चे शामिल हैं। मारे गए लोगों में सरकार विरोधी सशस्त्र समूहों और अन्य विपक्षी संगठनों के नेता भी शामिल हैं।
स्वतंत्र मीडिया (independent media) की खबरों के मुताबिक शुरुआत में 50 लोगों के मारे जाने का अनुमान था, लेकिन यह संख्या अब 100 के आसपास हो चुकी है। सैन्य सरकार की ओर से लगाए गए प्रतिबंधों के कारण घटना के बारे में स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं हो पाई है। सेना का विरोध करने वाले समूह नेशनल यूनिटी गवर्नमेंट (एनयूजी) ने एक बयान में कहा, “आतंकी सेना की ओर से यह जघन्य कृत्य निर्दोष नागरिकों के खिलाफ ताकत के उनके अंधाधुंध इस्तेमाल का एक और उदाहरण है।” एनयूजी खुद को सेना के विरोध में देश की वैध सरकार कहता है।