राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार ने कहा है कि उन्हें चुनावी हलफनामों को लेकर आयकर विभाग का नोटिस मिला है. पवार ने ये बातें कल पुणे में कहीं. पवार ने भाजपा सरकार के तहत केंद्रीय एजेंसियों के कथित दुरुपयोग के बारे में भी बात की और दावा किया कि उन्हें 2004, 2009 और 2014 में अपने चुनावी हलफनामों के संबंध में आयकर विभाग से नोटिस मिला.
बाद में पवार ने ट्वीट करते हुए भी आईटी की तरफ से नोटिस की जानकारी दी. उन्होंने लिखा, ‘मैं 2009 में लोकसभा के लिए चुनाव लड़ा था. 2009 के बाद मैं 2014 के राज्यसभा चुनाव के लिए खड़ा हुआ था. और अब 2020 के राज्यसभा चुनाव के हलफनामे को लेकर भी मुझे नोटिस आया है. सौभाग्य से मेरे पास उसकी सारी जानकारी क्रम में है.’
‘जांच एजेंसियों का गलत इस्तेमाल’
पवार ने केंद्र पर जांच एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए लिखा, ‘ईडी और केंद्रीय एजेंसियों की मदद का इस्तेमाल आजकल हो रहा है और इसके नतीजे दिख रहे हैं. विधानसभा के कई सदस्यों का कहना है कि उन्हें जांच के नोटिस मिले हैं. ये नया तरीका शुरू हो गया है. हम पांच साल पहले ईडी का नाम तक नहीं जानते थे. आज गांवों में भी लोग मजाक में कहते हैं कि तुम्हारे पीछे ईडी लगा होगा.’
‘मेरे पास सारी जानकारी’
पवार ने आगे कहा कि इस प्रणाली का इस्तेमाल अलग-अलग राजनीतिक विचारों वाले लोगों के लिए किया जाता है. उन्होंने आगे लिखा है, ‘मुझे इनकम टैक्स से भी ऐसा ही एक लव लेटर मिला है. वे अब 2004 के लोकसभा चुनाव के दौरान हलफनामे में निहित जानकारी की जांच कर रहे हैं. इसलिए मुझे जानकारी देने की चिंता नहीं है.’
बागी विधायकों पर भड़के
पवार ने शिवसेना के बागी विधायकों के इस दावे को भी खारिज किया कि राकांपा और कांग्रेस के साथ शिवसेना का गठजोड़ उनके विद्रोह का प्राथमिक कारण था. उन्होंने कहा, ‘‘यह आरोप निराधार है. इसका राकांपा और कांग्रेस से कोई संबंध नहीं है. लोगों को (बहाने के रूप में) कुछ बताना होगा, इसलिए राकांपा और कांग्रेस को दोषी ठहराया जा रहा है.’