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भूल से भी इस दिन न निकाले कलावा, यहां जानें रक्षा सूत्र से नियम

सनातन धर्म में पूजा-पाठ का काफी महत्व बताया गया है , साथ ही इस दौरान कई चीजों के इस्तेमाल के महत्व के बारे में भी बताया है। जिनमे से कलावा (Kalava) भी एक ऐसी चीज है जोकि पूजा-पाठ के दौरान काफी महत्व रखता है। पूजा-पाठ शुरू होते वक्त अक्सर पंडित जी यजमान को कलावा बांधते हैं। साथ ही कुछ मंदिरों में भी भक्‍तों को कलावे बांधते आपको नजर आ ही जायेंगे। कलावा (Raksha Sutra) बांधने कई लाभ भी हैं मगर इसे बांधते और निकालते वक्त कुछ बातों का ध्‍यान रखना चाहिए।

कलावा बांधने के लाभ

सनातन धर्म में कलावा को रक्षा सूत्र भी कहा जाता है। माना जाता है देवी-देवताओं (God-Goddess) के नाम के इन कलावों को बांधने से भगवान भक्‍त की संकटों से हमेशा रक्षा करते हैं। साथ ही कलावा बांधने से पॉजिटिव एनर्जी भी मिलती है। वहीं व्‍यक्ति का मन शांत और एक जगह केन्द्रित रहता है। साथ ही कलावा बांधने से वात, पित्त और कफ का संतुलन भी बना रहता है। आईसीए इसलिए क्योंकि इससे नसों पर दबाव पड़ता है, जिसकी वजह से पुराने वैद्य हाथ, कमर, गले और पैर के अंगूठे पर कलावे बांधते थे। कलावा बांधते वक्त इन बातों का ध्‍यान रखना चाहिए।

– ध्यान रहे कलावा को धारण करते वक्त उसे सिर्फ 3 बार ही लपेटना चाहिए। वहीं पुरुषों और अविवाहित लड़कियों को कलावा दाएं हाथ में जबकि विवाहित महिलाओं को बाएं हाथ में धारण करना चाहिए।

– कलावा बंधवाते वक्त हमेशा हाथ की मुट्ठी बांधकर ही रखें।

– प्रयास करें कि कलावा किसी पंडित से मंत्रोच्‍चार के साथ ही बंधवाए। अगर ऐसा न हो तो भी कलावा बांधते वक्त ‘येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:, तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे मा चल मा चल..’ मंत्र जरूर पढ़ें।

– ध्यान रहे कलावा को निकालने के लिए मंगलवार और शनिवार का दिन ही सबसे उचित माना जाता है। अन्‍य किसी दिन में कलावा निकालने से अशुभ परिणाम मिलते हैं।