कोरोना महामारी से निपटने के लिए देश भर में कई तरह के परीक्षण किए जा रहे है वही भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईटी) के पूर्व छात्र/छात्राओं की परिषद द्वारा स्थापित मेगालैब ने आयुर्वेद कोरोना वैक्सीन विकसित करने के लिए 300 करोड़ रुपये का आरभिंक कोष जुटाया है। उनका कहना है कि यह वैक्सीन दो खुराक में दी जाएगी तथा इससे पहली खुराक के कुछ दिनों के अंदर संक्रमण के प्रतिरोध की क्षमता उत्पन्न हो सकती है।
आईआईटी पूर्व-छत्र परिषद के अध्यक्ष रवि शर्मा ने कहा कि मुंबई की मेगालैब को परिषद ने बीते साल अप्रैल में स्थापित किया गया था जिससे कोरोना महामारी का सामना करने के उपायों और धन का इंतजाम किया जा सके। मेगालैब पश्चिमी जगत में उपलब्ध वैक्सीनों का आयात भी कर रही है। उन्हें मुंबई और बाद में अन्य स्थानों पर वितरित किया जायेगा। शर्मा ने कहा कि 300 करोड़ रुपये की सीड (प्रारंभिक पूंजी) सोसल फंड के पास जमा पूंजी का भाग है, जो परिषद की वित्तपोषण शाखा है।
साथ ही परिषद ने महामारी की पहली लहर के चरम के वक़्त बीते वर्ष अप्रैल में 21,000 करोड़ रुपये की धनराशि जुटाने की योजना घोषित की थी। उन्होंने कहा कि प्रस्तावित टीका छह महीनों में बिक्री के लिए उपलब्ध होगा। यह एक सहायक आयुर्वेदक वैक्सीरन है जिसमें इंजेक्शन और नाक में टपका कर दिया जा सकेगा। इस टीके से प्रभावोत्पादकता में सुधार लाने, साइड इफेक्ट्स को कम करने और सभी पर प्रभावी तरीके से काम करने की उम्मीद है। यह इस वायरस (कोरोना) के हर प्रकार के संस्करण पर काम करेगा जिन से देश में 2.6 लाख से ज्यादा मौत हो चुकी हैं। उन्होंने कहा कि प्रस्तावित टीका पहला एंटीजन-मुक्त, नया वैक्सीन है जो तथा स्थानीय तौर पर निर्मित किया जाएगा।