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भारतीय सेना बनी देवदूत, सिक्किम में फंसे 400 पर्यटकों को माैत के मुंह से बचा लाई

भारतीय सेना ने सिक्किम में मूसलाधार बारिश के कारण हुए भूस्खलन और सडक़ें बाधित होने के कारण फंसे महिलाओं और बच्चों सहित लगभग 400 पर्यटकों को बचाया। रक्षा अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी। रक्षा प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल महेंद्र रावत ने कहा कि शुक्रवार को मंगन जिले के लाचेन, लाचुंग और चुंगथांग में भारी मूसलाधार बारिश देखी गई, जिसके चलते लगभग 400 पर्यटक, जो लाचुंग और लाचेन घाटी की यात्रा कर रहे थे, मार्ग में भूस्खलन और बाधाओं के कारण चुंगथांग में फंस गए। उन्होंने कहा कि चुंगथांग के उप-विभागीय मजिस्ट्रेट के अनुरोध पर सेना की त्रिशक्ति कोर के जवानों ने कार्रवाई की और फंसे हुए पर्यटकों को सुरक्षित निकाल लिया। 113 महिलाओं और 54 बच्चों सहित फंसे हुए पर्यटकों को बचाने के बाद तीन अलग-अलग सेना शिविरों में ले जाया गया और उन्हें गर्म भोजन और गर्म कपड़े मुहैया कराए गए। सैनिकों ने पर्यटकों को समायोजित करने और उन्हें रात के लिए आरामदायक बनाने के लिए अपने बैरकों को खाली कर दिया। लेफ्टिनेंट कर्नल रावत ने कहा कि तीन मेडिकल टीमों का गठन किया गया था जिन्होंने सभी पर्यटकों की जांच की। सेना की मेडिकल टीम द्वारा प्रारंभिक चिकित्सा जांच में सभी पर्यटकों की हालत स्थिर पाई गई।

हालांकि, शनिवार को गुरुडोंगमार झील घूमने गई एक महिला ने तेज सिरदर्द और चक्कर आने की शिकायत की। पास के एक फील्ड अस्पताल से मेडिकल टीम स्थान पर पहुंची और एक्यूट माउंटेन सिकनेस (एएमएस) के लक्षणों का पता लगाया। उसे तत्काल चिकित्सा प्रदान की गई और गंगटोक के मेडिकल अस्पताल में आईसीयू में स्थानांतरित कर दिया गया, जहां उसकी हालत स्थिर बताई गई है। सैनिकों की त्वरित प्रतिक्रिया ने किसी भी दुर्घटना को टाल दिया और फंसे हुए पर्यटकों के लिए आराम सुनिश्चित किया। इस बीच, जल्द से जल्द वाहनों की आवाजाही के लिए सडक़ को खाली करने का प्रयास किया जा रहा है। पर्यटकों को उनकी आगे की यात्रा के लिए मार्ग साफ होने तक हर संभव सहायता प्रदान की जाएगी। प्रवक्ता ने कहा कि हिमालय के अत्यधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सीमा की रक्षा करते हुए, भारतीय सेना पर्यटकों और स्थानीय आबादी को सहायता प्रदान करने में सक्रिय रहती है।