गर्भावस्था के नौ महीने किसी भी महिला के लिए काफी मुश्किलभरे होते हैं. इस दौरान तमाम हार्मोनल बदलावों की वजह से शारीरिक और मानसिक दिक्कतें उसे झेलनी पड़ती हैं. इन्हीं सब परेशानियों के बीच एक और ऐसी दिक्कत है जो करीब एक-तिहाई गर्भवती महिलाओं में देखने को मिलती है. वो है यूरिन का रिसाव होना. ऐसा क्यों होता है और इस समस्या को कैसे नियंत्रित किया जाए, जानिए इसके बारे में.
दरअसल गर्भावस्था के दौरान पेट के भीतर और मूत्राशय के आसपास दबाव बढ़ता है. इसकी वजह से पेल्विक फ्लोर मसल्स के कमज़ोर हो जाती हैं. ऐसे में जब महिला हंसती है, खांसती है या छींकती है तो ये दबाव और बढ़ जाता है और यूरिन का बूंद-बूंद करके रिसाव होने लगता है. लेकिन कुछ आसान से व्यायाम ऐसी समस्या से निपटने में कारगर हो सकते हैं.
ये एक्सरसाइज करने से होगा फायदा
कुर्सी पर बैठ जाइए और अपनी वैजाइना की मसल्स को अंदर की तरफ खींचने की कोशिश कीजिए. मांसपेशियों को 20 सेकंड तक खींच कर रखिए, फिर धीरे से छोड़ दीजिए. लेकिन इस प्रक्रिया को बार बार करने की ज़रूरत नहीं है. पहले इसे दिनभर में 10 बार करने की कोशिश कीजिए. धीरे-धीरे बढ़ाकर 20 से 25 बार करने की कोशिश करें. इससे काफी राहत मिल सकती है.
ये समस्याएं भी सताती हैं तो इन उपायों को आजमाएं
1. गर्भावस्था में अगर अक्सर टांग की नस पर नस चढ़ जाती है तो रोजाना सोने से पहले पिण्डलियों को हल्के से स्ट्रैच करें. इससे मांसपेशियों में तनाव कम होगा.
2. अपने खाने में कैल्शियम और पोटैशियम की मात्रा बढ़ाएं. इसके लिए दही और केले के शेक ले सकती हैं.
3. सांस फूलना प्रेगनेंसी में आम समस्या है. खासकर तीसरी तिमाही में सांस ज्यादा फूलती है. इसके लिए सोते वक्त अच्छी क्वालिटी के तकियों से सिर को थोड़ा ऊंचा करके सोएं. आराम मिलेगा.
4. गर्दन, कंधों, कमर और पैरों में दर्द रहता है तो हल्की मसाज से आराम मिलेगा. मसाज के कुछ देर बाद गुनगुने पानी से नहा लें. इससे नींद अच्छी आएगी और आराम मिलेगा.
5. तनाव और मूड स्विंग की परेशानी रहती है तो डॉक्टर द्वारा निर्देशित एक्सरसाइज करें. पौष्टिक आहार लें. अपने करीबी लोगों से परेशानियों के बारे में बात करें. मन में बात न रखें. ज्यादा समस्या होने पर विशेषज्ञ से परामर्श करें.