मध्यप्रदेश में कोरोना संकट काल (Corona) में जेलों (Jail) में संक्रमण रोकने के लिए अपनाए गए उपायों का कैदियों ने गलत फायदा उठाया. कोरोना की पहली लहर के बाद जेलों से पैरोल पर छोड़े गए 4500 कैदियों में से 22 फरार हो गए हैं. इनका अभी तक कहीं पता नहीं चल पाया है. ये खुलासा, खुद राज्य सरकार की ओर से जबलपुर हाईकोर्ट में पेश की गई स्टेटस रिपोर्ट से हुआ है.
रिपोर्ट में बताया गया है कि कोरोना की पहली लहर के बाद पैरोल पर 4500 कैदियों को छोड़ा गया था. उनमें से 1536 कैदी लौटकर वापिस नहीं आए हैं. इनमें से 22 कैदी तो फरार हो चुके हैं. जबकि पैरोल पर छोड़े गए कैदियों में से 47 कैदियों की मौत हो गई. इनके अलावा जेलों मे कोरोना संक्रमण से 13 कैदियों की मौत हो गयी.
मध्यप्रदेश की जेलों में क्षमता से ज्यादा कैदी बंद होने पर हाईकोर्ट ने इस पर स्वत: संज्ञान लिया था. जेलों में कोरोना संक्रमण न फैले इसलिए हाईकोर्ट ने कैदियों की संख्या कम करने के लिए कई सुझाव दिए थे. इनमें 7 साल से कम सजा वाले अपराधों में बंद कैदियों को पैरोल पर छोड़ने का सुझाव भी शामिल था. राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में पेश रिपोर्ट में ये भी बताया है कि कैदियों को पैरोल पर जरूर छोड़ा गया लेकिन उसके बाद अपराध कुछ यूं बढ़े कि पिछले 38 दिन में करीब 8 हजार नये आरोपियों को जेल में बंद करना पड़ा. मध्यप्रदेश में जेलों की क्षमता करीब 28 हजार कैदी रखने की है लेकिन मई 2021 में प्रदेश की जेलों में 45 हजार से ज्यादा कैदी बंद थे. ये तब था जबकि पैरोल पर सैकड़ों कैदी छोड़े जा चुके हैं.