खौफ की खौफनाक इबारत थी विकास दुबे..शासन हो चाहे प्रशासन सब उसके सामने घुटने टेकना ही मुनासिब समझते थे। जी हां..और जब इन्हें लगा कि सिक्का अब इनके हाथ से निकल चुका है तो फिर इन्होंने विकास दुबे को पुलिस एनकाउंटर में गोलियों का शिकार बनाकर उसकी कहानी की हमेशा-हमेशा के लिए इंतहा कर दी गई। भले ही इन सभी उक्त सवालों के उदय के साथ विकास की कहानी अब पुलिस की गोलियों का निशाना बन चुकी हो, मगर सूबे में उसके खौफ का कारोबार अभी लंबा चलने वाला है। सूबे में उसके खौफ की खौफनाक इबारत को दोहराने के लिए तैयारियां अपने शबाब पर पहुंच चुकी है।
अगर समय रहते विकास दुबे के नाम से चल रहे खौफ के इस कारोबार को नहीं रोका गया तो वो दिन दूर नहीं जब फिर से विकास के नाम का सहारा लेकर सूबे में अपराध का दबदबा दिखेगा, इसलिए विकास दुबे के मारे जाने के बाद तन्हा हो चुके विकास की गैंग को सहारे की तलाश थी। बताया जा रहा है कि अब वो तलाश खत्म हो चुकी है। विकास दुबे के गैंग की तलाश गैंगस्टर के खंजाची रहे जय वाजपेयी पर आकर टिक गई है। जय वाजपेयी कोई और नहीं बल्कि यह वही शख्स जिसने विकास को घटना वाली रात हथियार सहित वहां से फरार होने के लिए गाड़ी तक मुहैया कराई थी। इतना ही नहीं, जय विकास के काले धन को सफेद करने का काम भी करता था।
इन्हीं सब स्थितियों को मद्देनजर रखते हुए पुलिस ने जय और उसके भाइयों पर गैंगस्टर एक्ट की धाराओं के तहत केस दर्ज किया जा चुका है। इस संदर्भ मे अधिक जानकारी देते हुए एसपी ग्रामीण ब्रजेश श्रीवास्तव कहते हैं कि बिकरू कांड के बाद विकास के जिन गुर्गों को जेल भेजा गया था। अब उनके आपराधिक अतीत को खंगाला जा रहा है। पड़ताल में यह देखने की जुगत जारी है कि इन सभी लोगों में से कौन सबसे ज्यादा विकास के साथ रहा था। इन सब में से कौन विकास का राजदार रहा था।