कोरोना काल में स्वास्थ्य सेवा में लगे लोगों को कोरोना वॉरियर्स का सम्मान दिया गया. लेकिन ओडिशा में इस महामारी के दौरान एक फ्रंटलाइन कोरोना वॉरियर (एएनएम) पीपीई किट पहने सड़कों पर भीख मांगता हुआ दिखाई दे रहा है. उस शख्स की पहचान अश्विनी पाढे के रूप में हुई है. हालांकि सरकार के काम से हटाए जाने के विरोध में एएनएम कार्यकर्ता इस तरह का प्रदर्शन कर रहे हैं. एएनएम वर्कर अश्विनी पाढे ओडिशा के भद्रक में पीपीई किट पहने हुए सड़कों पर भीख मांगते हुए नजर आए. घटना शनिवार की है. कोरोना महामारी के दौरान विशेष रूप से राज्य सरकार ने अश्विनी पाढे समेत हजारों अन्य लोगों की संविदा के आधार पर भर्ती की थी. हालांकि, महामारी की स्थिति में सुधार होने के बाद अनुबंध की अवधि समाप्त हो गई क्योंकि राज्य में कोरोना के मामलों में भी भारी गिरावट आई है.
बजट में पैसों की कमी के कारण ओडिशा सरकार ने 31 दिसंबर, 2020 को अनुबंध समाप्त होने के बाद किसी को भी फिर से काम पर नहीं रखने का फैसला किया.
इसके बाद एएनएम वर्कर्स अचानक बेरोजगार हो गए. यही वजह है कि काम की कमी के कारण अश्विनी पाढे नाम के शख्स को एक दुकान से दूसरी दुकान में जाकर भीख मांगते हुए देखा गया. उन्होंने कहा, जब कोरोना के प्रकोप के बाद राज्य में स्थिति बहुत विकट थी तो सरकार ने हमें COVID वारियर्स के रूप में काम करने के लिए नियुक्त किया, बाद में प्रशंसा की, हमारे ऊपर फूलों की वर्षा करके हमें हमारे काम के लिए सम्मानित किया और लोगों के प्रति हमारी सेवा के लिए हमें वॉरियर बताया. हमने कोरोना के रोगियों के साथ मिलकर काम करके अपने परिवार के सदस्य के जीवन को खतरे में डाला.’
उन्होंने कहा, ‘लगभग नौ महीने तक काम करने के बाद, सरकार ने बिना किसी पुनर्वास व्यवस्था के हमें बर्खास्त कर दिया. यदि सरकार स्थायी रोजगार नहीं दे सकती है, तो राज्य में लगभग 8,000 पैरामेडिक्स की आजीविका की रक्षा के लिए हमें उन्हें शामिल करना होगा. अगर सरकार ने हमारी मांग नहीं मानी तो हर जगह भीख मांगकर अपना विरोध प्रदर्शन तेज करेंगे. बता दें कि राज्य की राजधानी में पीएमजी स्क्वायर में पिछले दो महीनों से लगभग सैकड़ों एएनएम कार्यकर्ता धरने पर बैठे हैं, जो ठंड के मौसम में पुनर्वास या फिर से काम देने की मांग कर रहे हैं.