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अब 88 फीसदी युवा भी चाहता है सख्त हो तम्बाकू निषेध कानून

युवाओं को नशे की लत से बचना है। नशे की लत से बचने के लिए अब स्वयं युवा आगे आ रहे हैं। देश में तंबाकू निधेष कानून ‘कोटपा’ लागू है। इसको मजबूत बनाने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से पहल की जा रही है। कोटपा के लक्ष्य को पूरा करने वाले एक सर्वेक्षण में नषे की लत से दूर रहने की मुहिम को समर्थन मिलता दिख रहा है। 88 फीसदी लोगों ने मौजूदा तंबाकू निषेध कानून को कठोर बनाए जाने की जरूरत बताई है। युवा अब नशे की ओर नहीं जाना चाहता है। देश में तंबाकू के सेवन के कारण होने वाली बीमारियों से प्रतिवर्ष दस लाख से ज्यादा मौतें होती हैं। देश में 26 करोड़ से अधिक लोग किसी न किसी रूप में तंबाकू का सेवन करते हैं। इनमें से बड़ी संख्या में लोग कैंसर और अन्य गंभीर बीमारियों से ग्रस्त होते हैं। जब लोग नशे से दूर होंगे तो स्वस्थ समाज की कल्पना सम्भव है। नशे और बीमारियों से प्रतिवर्ष जीडीपी के एक फीसदी के बराबर यानी 1,77,341 करोड़ की क्षति देश को होती है। नशे को लेकर यह सर्वेक्षण कंज्यूमर वाइस की तरफ से 10 राज्यों में 1476 वयस्क लोगों के बीच किया गया। इनमें से 80 फीसदी लोगों ने माना कि सिगरेट, बीड़ी का सेवन और तंबाकू का सेवन स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा कर रहा है।

नशे की लत से स्वास्थ्य संकट बढ़ा है। 72 फीसदी लोग पैसिव स्मोकिंग, दूसरों के पीने से निकले धुंए का खतरा के खतरों से वाकिफ थे। दूसरों से निकले धुएं को गंभीर स्वास्थ्य समस्या के रूप में देखते हैं। 82 फीसदी उत्तरदाताओं ने कहा कि कई स्वरूपों में होने वाला तंबाकू का सेवन खतरनाक है। जबकि 77 फीसदी ने बीड़ी सेवन के खतरों को माना। सर्वेक्षण के दौरान तंबाकू का किसी न किसी रूप में सेवन करने वालों ने भी कहा कि कानून सख्त होना चाहिए। सख्त कानून से नशे के सेवन को हतोत्साहित किया जा सके।

कंज्यूमर वाइस के मुख्य संचालन अधिकारी असीम सान्याल ने कहा कि सर्वेक्षण के नतीजे उत्साहजनक है। युवा अब नशेे की लत से बाहर निकलना चाहते हैं और नशे की ओर नहीं जाना चाहते हैं। सरकार ने तंबाकू उत्पादों के बिक्री केंद्रों पर इसके प्रचार और खुली सिगरेट की ब्रिक्री पर रोक लगाने, मौजूद कानून के तहत लगाए जाने वाले जुर्माने में बढ़ोतरी के लिए कानून में बदलाव की प्रक्रिया शुरू की है। सर्वेक्षण के दौरान लोगों ने सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने, बार-रेस्टोरेंट में स्मोकिंग जोन के प्रावधानों को खत्म करने की जमकर पैरवी की है। सर्वेक्षण के अनुसार यदि नशे पर रोक लगी तो युवाओं और समाज को काफी लाभ मिलेगा।