दिवाली का त्यौहार हिन्दू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है | ये त्यौहार सुख शांति, धन धान्य, सुख समृद्धि और सकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है | ये त्यौहार सत्य की असत्य पर जीत को भी दर्शाता है | मान्यताओं के अनुसार इस दिन राम जी अपना वनवास पूरा करके अयोध्या लौटे थे, तब उनके आगमन की ख़ुशी में अयोध्यावासियों ने दीपक जलाये थे |
ऐसा भी माना जाता है कि इसी दिन माँ लक्ष्मी का जन्म हुआ था, तो वहीँ अन्य मान्यताओं के अनुसार इस दिन श्रीहरि ने माँ लक्ष्मी से विवाह किया था | दिवाली के अवसर पर माँ लक्ष्मी, गणेश जी और माँ सरस्वती की पूजा अर्चना की जाती है | इस वर्ष 14 नवंबर को दिवाली का त्यौहार मनाया जाना है | ऐसे में हम आपको लक्ष्मी पूजन से जुडी सभी आवश्यक बातो की जानकारी प्रदान करने जा रहे है |
कब है दिवाली
दिवाली का पवित्र त्यौहार प्रत्येक कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मनाया जाता है | ऐसे में ग्रेगरियन कैलेंडर के अनुसार दिवाली का त्यौहार इस वर्ष 14 नवंबर को मनाया जायेगा |
लक्ष्मी पूजन शुभ मुहूर्त
दीवाली या लक्ष्मी पूजन की तिथि:- 14 नवंबर 2020
अमावस्या तिथि प्रारंभ:- 14 नवंबर 2020 को दोपहर 02:17 से
अमावस्या तिथि समाप्त:- 15 नवंबर 2020 को सुबह 10:36 तक
लक्ष्मी पूजा मुहुर्त:– 14 नवंबर 2020 को शाम 05:28 से शाम 07:24 तक
कुल अवधि:– 01 घंटे 56 मिनट
दिवाली या माँ लक्ष्मी के पूजन की सामग्री
लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमा या तस्वीर, माँ लक्ष्मी को अर्पित किए जाने वाले वस्त्र, लाल कपड़ा, सप्तधान्य, गुलाल, लौंग, अगरबत्ती, हल्दी, अर्घ्य पात्र, फूलों की माला और खुले फूल, सुपारी, सिंदूर, इत्र, इलायची, कपूर, केसर, सीताफल, कमलगट्टे, कुशा, कुमकुम, साबुत धनिया (जिसे धनतेरस पर खरीदा हो), खील-बताशे, गंगाजल, देसी घी, चंदन, चांदी का सिक्का, अक्षत, दही, दीपक, दूध, लौंग लगा पान, दूब घास, गेहूं, धूप बत्ती, मिठाई, पंचमेवा, पंच पल्लव (गूलर, गांव, आम, पाकर, बड़ के पत्ते), तेल, मौली, रूई, पांच यज्ञोपवीत (धागा), रोली, लाल कपड़ा, चीनी, शहद, नारियल और हल्दी की गांठ |
पूजन विधि
माँ लक्ष्मी के पूजन के लिए धनतेरस के दिन माँ लक्ष्मी और गणेश जी की प्रतिमा को घर में लाया जाता है | और दिवाली के दिन उनका पूजन किया जाता है | हम आपको माँ लक्ष्मी के पूजन की सम्पूर्ण विधि बताने जा रहे है |
मूर्ति स्थापना
सबसे पहले एक चौकी पर लाल कपडा बिछाए और उस पर माँ लक्ष्मी और गणेश जी की प्रतिमा रखे | अब जल के पात्र से चौकी के ऊपर जल छिड़के और नीचे दिए मंत्र का उच्चारण करे |
ॐ अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोपि वा ।
य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स: वाह्याभंतर: शुचि: ।।
धरती माता को प्रणाम:- अब अपने ऊपर और चौकी पर जल छिड़कते हुए इस मंत्र का उच्चारण करे |
पृथ्विति मंत्रस्य मेरुपृष्ठः: ग ऋषि: सुतलं छन्दः: कूर्मोदेवता आसने विनियोग: ।।
ॐ पृथ्वी त्वया धृता लोका देवि त्वं विष्णुना धृता ।
त्वं च धारय मां देवि पवित्रं कुरु चासनम् नम: ।।
पृथ्वियै नम: आधारशक्तये नम:
आचमन:- इन मंत्रो का उच्चारण करते हुए आचमन करे |
ॐ केशवाय नमः:, ॐ नारायणाय नमः: ॐ माधवाय नमः:
ध्यान:- इस मंत्र का उच्चारण करते हुए माँ लक्ष्मी का ध्यान करे |
या सा पद्मासनस्था विपुल-कटि-तटी पद्मपत्रायताक्षी, गम्भीरा र्तव-नाभि: स्तन-भर-नमिता शुभ्र-वस्त्रोत्तरीया ।
या लक्ष्मीर्दिव्य-रूपैर्मणि-गण-खचितैः स्वापिता हेम-कुम्भैः,
सा नित्यं पद्म-हस्ता मम वसतु गृहे सर्व-मांगल्य-युक्ता ।।
आवाह्न:- इस मंत्र का उच्चारण करते हुए माँ लक्ष्मी का आवाह्न करे |
आगच्छ देव-देवेश! तेजोमयी महा-लक्ष्मी |
क्रियमाणं मया पूजां, गृहाण सुर-वन्दिते ||
।। श्रीलक्ष्मी देवीं आवाह्यामि ।।
पुष्पांजलि आसन:- पांच पुष्प माँ लक्ष्मी को अर्पित करते समय इस मंत्र का उच्चारण करे |
नाना रत्न समायुक्तं, कार्त स्वर विभूषितम् ।
आसनं देव-देवता ! प्रीत्यर्थं प्रति-गह्यताम् ।।
।। श्रीलक्ष्मी-देव्यै आसनार्थे पंच-पुष्पाणि समर्पयामि ।।
स्वागत:- इस मंत्र का उच्चारण करते हुए माँ लक्ष्मी का स्वागत करे |
पाद्य: अब इस मंत्र का उच्चारण करते हुए मां लक्ष्मी के चरण धोने के लिए जल अर्पित करें.
पाद्यं गृहाण देवेशि, सर्व-क्षेम-समर्थे, भो: |
भक्तया समर्पितं देवि, महालक्ष्मी | नमोsस्तुते ।।
|| श्रीलक्ष्मी-देव्यै पाद्यं नम: ||
अर्घ्य:- इस मंत्र का उच्चारण करते हुए माँ लक्ष्मी को अर्घ्य दे |
नमस्ते देव-देवेशि ! नमस्ते कमल-धारिणि ! नमस्ते श्री महालक्ष्मी, धनदा देवी ! अर्घ्यं गृहाण ।
गंध-पुष्पाक्षतैर्युक्तं, फल-द्रव्य-समन्वितम् । गृहाण तोयमर्घ्यर्थं, परमेश्वरि वत्सले !
।। श्रीलक्ष्मी देव्यै अर्घ्यं स्वाहा ।।
स्नान:- इस मंत्र का उच्चारण करते हुए माँ लक्ष्मी को जल और पंचामृत से स्नान कराये | अंत में शुद्ध जल से स्नान कराये |
गंगासरस्वतीरेवापयोष्णीनर्मदाजलै: ।
स्नापितासी मय देवी तथा शांतिं कुरुष्व मे ।।
आदित्यवर्णे तपसोsधिजातो वनस्पतिस्तव वृक्षोsथ बिल्व: ।
तस्य फलानि तपसा नुदन्तु मायान्तरायश्र्च ब्रह्मा अलक्ष्मी: ।
।। श्रीलक्ष्मी देव्यै जलस्नानं समर्पयामि ।।
वस्त्र:- इस मंत्र का उच्चारण करते हुए मां लक्ष्मी को मौली के रूप में वस्त्र अर्पित करें |
दिव्याम्बरं नूतनं हि क्षौमं त्वतिमनोहरम् ।
दीयमानं मया देवि गृहाण जगदम्बिके ।।
उपैतु मां देवसख: कीर्तिश्च मणिना सह ।
प्रादुर्भूतो सुराष्ट्रेsस्मिन् कीर्तिमृद्धि ददातु मे ।
।। श्रीलक्ष्मी देव्यै वस्त्रं समर्पयामि ।।
आभूषण:- अब इस मंत्र का उच्चारण करते हुए मां लक्ष्मी को आभूषण अर्पित करे |
रत्नकंकड़ वैदूर्यमुक्ताहारयुतानि च ।
सुप्रसन्नेन मनसा दत्तानि स्वीकुरुष्व मे ।।
क्षुप्तिपपासामालां ज्येष्ठामलक्ष्मीं नाशयाम्यहम् ।
अभूतिमसमृद्धिं च सर्वात्रिर्णद मे ग्रहात् ।।
।। श्रीलक्ष्मी देव्यै आभूषणानि समर्पयामि ।।
सिंदूर: अब इस मंत्र का उच्चारण करते हुए मां लक्ष्मी को सिंदूर चढ़ाएं |
ॐ सिन्दुरम् रक्तवर्णश्च सिन्दूरतिलकाप्रिये ।
भक्त्या दत्तं मया देवि सिन्दुरम् प्रतिगृह्यताम् ।।
।। श्रीलक्ष्मी देव्यै सिन्दूरम् सर्पयामि ।।
कुमकुम: अब माता को कुमकुम अर्पित करे और इस मंत्र का उच्चारण करे |
ॐ कुमकुम कामदं दिव्यं कुमकुम कामरूपिणम् ।
अखंडकामसौभाग्यं कुमकुम प्रतिगृह्यताम् ।।
।। श्रीलक्ष्मी देव्यै कुमकुम सर्पयामि ।।
अक्षत:- अब माँ लक्ष्मी को अक्षत अर्पित करे |
अक्षताश्च सुरश्रेष्ठं कुंकमाक्ता: सुशोभिता: ।
मया निवेदिता भक्तया पूजार्थं प्रतिगृह्यताम् ।।
।। श्रीलक्ष्मी देव्यै अक्षतान् सर्पयामि ।।
गंध: अब इस मंत्र के उच्चारण के साथ मां लक्ष्मी को चंदन समर्पित करें |
श्री खंड चंदन दिव्यं, गंधाढ्यं सुमनोहरम् ।
विलेपनं महालक्ष्मी चंदनं प्रति गृह्यताम् ।
।। श्रीलक्ष्मी देव्यै चंदनं सर्पयामि ।।
पुष्प:- अब पुष्प अर्पित करें |
यथाप्राप्तऋतुपुष्पै:, विल्वतुलसीदलैश्च ।
पूजयामि महालक्ष्मी प्रसीद मे सुरेश्वरि ।
।। श्रीलक्ष्मी देव्यै पुष्पं सर्पयामि ।।
अंग पूजन:– अब अपने बांये हाथ में फूल, चावल और चन्दन ले और दाहिने हाथ से माँ लक्ष्मी को अर्पित करे | और इन मंत्रो का उच्चारण करे |
ॐ चपलायै नम: पादौ पूजयामि ।
ॐ चंचलायै नम: जानुनी पूजयामि ।
ॐ कमलायै नम: कटिं पूजयामि ।
ॐ कात्यायन्यै नम: नाभि पूजयामि ।
ॐ जगन्मात्रै नम: जठरं पूजयामि ।
ॐ विश्व-वल्लभायै नम: वक्ष-स्थलं पूजयामि ।
ॐ कमल-वासिन्यै नम: हस्तौ पूजयामि ।
ॐ कमल-पत्राक्ष्यै नम: नेत्र-त्रयं पूजयामि ।
ॐ श्रियै नम: शिर पूजयामि ।
> अब आप माँ लक्ष्मी को धुप, दीपक, और मिठाई अर्पित करे और पानी से आचमन कराये |
> अब माता को ताम्बूल अर्पित करे और दक्षिणा दे |
> अब माँ लक्ष्मी के बांये से दाए प्रदक्षिणा करे |
> अब माँ लक्ष्मी को साष्टांग प्रणाम करे और पूजा के दौरान जाने अनजाने में हुयी किसी भी भूल के लिए माफ़ी मांगे |
> अंत में माँ लक्ष्मी की आरती करे |
मां लक्ष्मी की आरती
ॐ जय लक्ष्मी माता,
मैया जय लक्ष्मी माता ।
तुमको निसदिन सेवत,
हर विष्णु विधाता ॥
उमा, रमा, ब्रम्हाणी,
तुम ही जग माता ।
सूर्य चद्रंमा ध्यावत,
नारद ऋषि गाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥
दुर्गा रूप निरंजनि,
सुख-संपत्ति दाता ।
जो कोई तुमको ध्याता,
ऋद्धि-सिद्धि धन पाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥
तुम ही पाताल निवासनी,
तुम ही शुभदाता ।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशनी,
भव निधि की त्राता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥
जिस घर तुम रहती हो,
ताँहि में हैं सद्गुण आता ।
सब सभंव हो जाता,
मन नहीं घबराता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥
तुम बिन यज्ञ ना होता,
वस्त्र न कोई पाता ।
खान पान का वैभव,
सब तुमसे आता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥
शुभ गुण मंदिर सुंदर,
क्षीरोदधि जाता ।
रत्न चतुर्दश तुम बिन,
कोई नहीं पाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥
महालक्ष्मी जी की आरती,
जो कोई नर गाता ।
उँर आंनद समाता,
पाप उतर जाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥
ॐ जय लक्ष्मी माता,
मैया जय लक्ष्मी माता ।
तुमको निसदिन सेवत,
हर विष्णु विधाता ॥