दिल्ली और देश के तमाम राज्यों में कोरोना की लहर बेलगाम होती जा रही है. नए कोरोना मामलों के अलावा अब मौत के आंकड़े में भी भारी उछाल देखने को मिल रहा है. देशभर में कोरोना के मामलों के बीच दिल्ली के सबसे बड़े कब्रिस्तान में शवों को दफन करने की जगह में कमी आ गई है. दिल्ली के सबसे बड़े कब्रिस्तान जदीद अहले कब्रिस्तान इस्लाम में 4 अप्रैल से ही लाशों के आने का सिलसिला चल रहा था. जो पिछले 4 दिनों से बहुत बढ़ गया. इस साल 12 अप्रैल को एक दिन में सबसे ज्यादा शव लाए गए जिनकी संख्या 25 थी.
मंगलवार को लाए गए शवों की संख्या 18 थी जिसमें 30 तो नॉन कोविड वाले शव थे. केयरटेकर मोहम्मद शमीम का कहना है कि कब्रिस्तान की देखभाल में वो तीसरी पीढ़ी हैं लेकिन इससे पहले कोविड के साथ-साथ नॉन कोविड मौतों की इतनी बड़ी संख्या उन्होंने पहले कभी नहीं देखी. कब्रिस्तान के केयरटेकर मोहम्मद शमीम के मुताबिक कोविड ब्लॉक में लाशों के दफनाने के लिए अधिक से अधिक 150 की ही जगह बची है. लाशों की संख्या बढ़ने से जगह की कमी होने की आशंका है. दिल्ली में पिछले साल अप्रैल के महीने में भी लाशों को दफनाने के लिए अर्थ मूवर मशीन बुलानी पड़ी थी. शमीम ने कहा कि पिछले साल बॉलीवुड के कुछ कलाकरों ने पीपीई किट भेजी थी लेकिन इसबार कोई भी मदद को आग नहीं आया. हालांकि, लाशों को दफनाने के लिए कोविड प्रोटोकाल फॉलो किया जा रहा है. मसलन 20 आदमी से ज्यादा कब्रिस्तान नहीं आएंगे. लाश को खोला नहीं जाएगा उसके ऊपर सीधा मिट्टी डाली जाएगी ताकि इन्फेक्शन बाहर ना जाए. वहीं, नॉर्मल कब्रों से ज्यादा 7 से 8 फुट की गहराई पर शवों को दफनाया जा रहा है. जबकि नॉर्मल कब्र तीन फुट गहरी होती है.
कोविड और नॉन कोविड लाशों के दफनाने के अलग-अलग ब्लॉक हैं. इंतजाम कमेटी का सख्त आदेश है कि कोई कब्र को पक्का ना बनाए लेकिन लोगों की आस्था है लिहाजा लोग पक्की कब्रें भी बना देते हैं. शमीम ने बताया कि दिल्ली में मंगोलपुरी स्थित 2 एकड़ में फैला मुस्लिम कब्रिस्तान, शास्त्री पार्क स्थित बुलंद मस्जिद मुस्लिम कब्रिस्तान (1 एकड़), कोंडली के पास मुल्ला कॉलोनी मुस्लिम कब्रिस्तान (ढ़ाई एकड़) में भी शव दफनाए जाते हैं. लेकिन, सबसे बड़ा कब्रिस्तान होने की वजह से अस्पतालों से ज्यादा शव यहीं दफनाने के लिए लाए जाते हैं. दिल्ली सरकार के आंकड़ों के मुताबिक पिछले 4 दिनों में दिल्ली में 240 मौतें हुई हैं.