शोधकर्ताओं ने आंखों की खराब हो चुकी रोशनी को ठीक करने के लिए एक सरल व किफायती पद्धति विकसित की है और विशेषज्ञों का कहना है कि नया तरीका आंखों की ऐसी समस्याओं के इलाज में व्यापक बदलाव लाने वाला साबित हो सकता है। एक भारतीय चिकित्सक और ब्रिटेन स्थित एक शोधकर्ता ने संयुक्त रूप से इस पद्धति को विकसित किया है। भारत में हैदराबाद स्थित एल.वी. प्रसाद नेत्र संस्थान के नेत्र रोग विशेषज्ञ वीरेंद्र सांगवान और शेफील्ड विश्वविद्यालय में ऊतक इंजीनियर प्रोफेसर शीला मैकनील द्वारा किए गए इस अध्ययन में कॉर्निया की रक्षा करने वाली क्षतिगस्त कोशिकाओं के इलाज के लिए स्टेम सेल थेरेपी का उपयोग किया गया है।
शेफील्ड विश्वविद्यालय की ओर से कहा गया कि भारत में मरीजों के लिए पहली बार 2012 में विकसित इस पद्धति का अब यहां खासा उपयोग किया जा रहा है तथा दुर्घटना या बीमारी से क्षतिग्रस्त आंखों के उपचार के क्षेत्र में इसका गहरा प्रभाव पड़ा है।हालांकि इस पद्धति की सफलता के बावजूद अन्य देशों के सर्जनों द्वारा इसे व्यापक रूप से नहीं अपनाया गया है। ब्रिटिश जर्नल ऑफ ऑप्थल्मोलॉजी पत्रिका में प्रकाशित एक नई रिपोर्ट से पता चलता है कि यह पद्धति अन्य देशों में नेत्र सर्जनों द्वारा उपयोग की जाने वाली तकनीक के समान ही प्रभावी है और उसकी तुलना में नयी पद्धति पर सिर्फ 10 प्रतिशत खर्च आता है।