तुर्की-सीरिया में विनाशकारी भूकंप की तबाही के 104 घंटे बाद बचावकर्मियों ने शुक्रवार को एक ढही हुई इमारत के मलबे से एक महिला को जिंदा बाहर निकाला. महिला को जिंदा देख बचावकर्मी उत्साहित हो उठे. 6 फरवरी को तुर्की-सीरिया में आए भूकंप से अबतक 24,000 से ज्यादा लोगों की मौते हो चुकी हैं. बचाव दल लोगों को मलबे से बाहर निकालने के लिए जुटे हुए हैं. भारत की एनडीआरफ टीम भी तुर्की-सीरिया में रेस्क्यू के लिए पहुंची है.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुतबिक, किरीखान शहर में महिला को जिंदा निकालने के बाद बचावदल कर्मी स्टीवन बायर ने कहा “अब मैं चमत्कारों में विश्वास करता हूं. यह बड़ी राहत की बात है कि ऐसी परिस्थितियों में यह महिला इतनी फिट निकली है.” महिला की पहचान 40 वर्षीय ज़ेनेप कहरामन के रूप में हुई है. उसे मलबे से सुरक्षित निकालने के बाद स्ट्रेचर से ले जाया गया.
आंखों को रौशनी से बचाने के लिए उसे काले चश्मे पहनाए गए थे. जर्मन बचावकर्मियों ने मलबे के अंदर पड़ी महिला को एक नली के माध्यम से उसे हाइड्रेटेड रखा. महिला को सुरक्षित बाहर निकालने के बाद उसकी छोटी बहन ज़ुबेयडे ने जर्मन इंटरनेशनल सर्च एंड रेस्क्यू (ISAR) टीम के बचावकर्मी को गले लगा लिया. महिला को बचाने के बाद लोगों ने जमकर तालियां बजाई.
इस भूकंप से मरने वाले लोगों की तादाद जापान के फुकुशिमा में आए भूकंप और सुनामी से होने वाली मौतों की संख्या से भी अधिक हो गई है और मलबों से शवों का निकलने का सिलसिला जारी है जिससे हताहतों की संख्या और बढ़ने की आशंका हैं. भूकंप के चार दिन बाद गैजियांतेप स्थित एक इमारत से बचाव कर्मियों ने 17 वर्षीय अदनान मुहम्मद कोरकुत को जिंदा निकाला.
वह, 94 घंटे से मलबे में दबा था और अपना ही पेशाब पीकर जिंदा रहा. कोरकुत ने कहा, ‘ईश्वर का शुक्र है कि आप (बचावकर्मी) आए.’ बता दें कि दक्षिणी तुर्की और उत्तर-पश्चिम सीरिया में सबसे घातक भूकंप के पांचवें दिन शुक्रवार सुबह संयुक्त मौत का आंकड़ा 24,000 पहुंच गया. भीषण सर्दी की स्थिति में लाखों लोग बेघर हो गए हैं. तबाही से देश में भोजन की कमी हो गई है.