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तिब्बती बौद्धों के खिलाफ चीन की कार्रवाई से आक्रोश, अमेरिका ने जताई चिंता, दी यह नसीहत

अमेरिकी विदेश विभाग (US state department) ने गुरुवार को तिब्बती बौद्धों (Tibetan Buddhists) के खिलाफ चीन (China) की कार्रवाई की रिपोर्ट पर गहरी चिंता जताई है, जिसमें जातीय अल्पसंख्यक की परंपराओं को खत्म करने के अपने अभियान के एक हिस्से के रूप में बुद्ध की मूर्तियों (Buddha statues) को नष्ट करना भी शामिल है. विदेश विभाग के अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता कार्यालय (Office of International Religious Freedom), जो अमेरिकी विदेश नीति के मुख्य उद्देश्य के रूप में सभी के लिए धर्म या विश्वास की स्वतंत्रता के लिए सार्वभौमिक सम्मान को बढ़ावा देने पर जोर देता है, ने चीनी अधिकारियों से तिब्बतियों के अपने विश्वास का स्वतंत्र रूप से अभ्यास करने के अधिकार का सम्मान करने का आग्रह किया है.

“तिब्बतियों के विश्वासों और मान्यताओं का सम्मान करे चीन”

हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता कार्यालय ने चीन की नीति की आलोचना करके हुए ट्विटर पर लिखा, “हम तिब्बती बौद्धों के खिलाफ पीआरसी की कार्रवाई को तेज करने की खबरों से बेहद परेशान हैं, जिसमें अधिकारियों ने बुद्ध की मूर्तियों को नष्ट करना, प्रार्थना के पहियों को हटाना और प्रार्थना झंडों को जलाना शामिल है. हम पीआरसी अधिकारियों से अनुरोध करते हैं कि वे तिब्बतियों के अपने विश्वासों और मान्यताओं का स्वतंत्र रूप से अभ्यास करने के अधिकार का सम्मान करें.”

अमेरिका की ओर से यह बयान चीन द्वारा पश्चिमी चीन के सिचुआन प्रांत (Sichuan province) में तिब्बतियों की प्रतिष्ठित दूसरी बौद्ध प्रतिमा को नष्ट करने की खबरों के बाद आया है. रेडियो फ्री एशिया की रिपोर्ट के अनुसार, कार्दजे तिब्बती स्वायत्त प्रांत में ड्रैगो काउंटी में गादेन नाम्याल लिंग मठ में मैत्रेय बुद्ध (Maitreya Buddha) की तीन मंजिला मूर्ति के नष्ट होने की पुष्टि कमर्शियल सेटेलाइट इमेजरी के माध्यम से की गई थी.

सुरक्षा कारणों से तोड़ी गई बौद्ध प्रतिमाः चीन

रिपोर्ट के अनुसार, चीनी अधिकारियों ने यह दावा किया कि सुरक्षा कारणों से बौद्ध प्रतिमा को तोड़ा गया है. आरएफए ने मामले से परिचित लोगों के हवाले से जानकारी देते हुए बताया कि मैत्रेय बुद्ध की तीन मंजिला ऊंची प्रतिमा वाले मंदिर में आग से बचाव के कोई साधन नहीं है. बीजिंग पर लंबे समय से जातीय अल्पसंख्यकों पर नकेल कसने का आरोप लगाया जाता रहा है, ताकि उनकी पहचान छीन ली जा सके. चीन कथित तौर पर हुई-वर्चस्व वाले क्षेत्रों (Hui-dominated areas) में धार्मिक और “अरबी” वास्तुकला पर प्रतिबंध लगा रहा है. हुइस (Huis) चीनी भाषी समुदाय है जो इस्लाम धर्म का पालन करता है, और 2 करोड़ से अधिक आबादी के साथ वहां सबसे बड़ा मुस्लिम अल्पसंख्यक समूह (Muslim minority group) माना जाता है.