लोन लेने हाल के दिनों में काफी जटील हो गया है। लोन के लिए बैंकों के चक्कर लगाने पड़ते हैं, इसके बाद भी लोन मिल जाए इसकी कोई गारंटी नहीं है। कई तरह की प्रक्रिया करने के बाद भी लोन एप्लीकेशन रिजेक्ट हो जाती है। हालांकि ग्राहकों की गलती से भी लोन के एप्लीकेशन रिजेक्ट होते हैं। जिसे सुधारकर आप लोन लेने की इलिजिबिलिटी बढ़ा सकते हैं।
बैंक या लोन देने वाली संस्थाएं लोन एप्लीकेशन को ध्यान से जांचती है और उसका मूल्यांकन करती हैं। इसमें शख्स का क्रेडिट स्कोर , उसकी मासिक आय, जॉब प्रोफाइल और इम्प्लोयर प्रोफाइल शामिल हैं। इनमें से अगर एक चीज भी बैंक के मानकों पर खरा नहीं उतरता तो एप्लीकेशन रद्द कर दिया जाता है।
लोन एप्लाई करते समय ध्यान देने वाली बातें
क्रेडिट स्कोर
क्रेडिट स्कोर लोन इलिजिबिलिटी को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है। ऋणदाता उन लोगों को लोन देने में प्राथमिकता देते हैं जिनका क्रेडिट स्कोर 750 या इससे ज्यादा होता है। जिनका क्रेडिट स्कोर लो होता है उन्हें ऋणदाता लोन (Loan) देने से हिचकिचाते हैं। इसलिए जरूरी है कि आप अपना क्रेडिट स्कोर बढ़िया बनाएं और उसे बरकरार रखें। आप समय पर ईएमआई और क्रेडिट कार्ड के ड्यूज का भुगतान करने और जिन लोन अमाउंट के आप गारंटर हैं उनकी रिपेमेंट समय पर होने से क्रेडिट स्कोर अच्छा बनता है।
क्रेडिट रिपोर्ट का रिव्यू जरूरी
क्रेडिट ब्यूरो आपके क्रेडिट स्कोर की गणना ऋणदाताओं और क्रेडिट कार्ड इश्यू करने वाले संस्थानों की क्रेडिट रिपोर्ट के आधार पर करते हैं। आपकी क्रेडिट रिपोर्ट में कोई भी गलत सूचना जुड़ने से क्रेडिट स्कोर पर नकारात्मक असर पड़ता है। कई बार क्रेडिट ब्यूरो या ऋणदाता से गलती से ऐसी सूचना क्रेडिट रिपोर्ट में दर्ज हो जाती है। इसलिए अपनी क्रेडिट रिपोर्ट की समीक्षा करना जरूरी है। लोन अप्लाई करने से पहले इसका मूल्यांकन कर अगर कोई गलती है तो उसे ठीक करवा लेना चाहिए।
ज्यादा इंक्वायरी करने से बचें
जब भी आप क्रेडिट कार्ड या लोन के लिए अप्लाई करते हैं तो क्रेडिट कार्ड जारी करने वाले या ऋणदाता क्रेडिट ब्यूरो से आपकी क्रेडिट रिपोर्ट देने की रिक्वेस्ट करते हैं। ऐसी रिक्वेस्ट को गंभीर जांच माना जाता है। अगर थोड़े अंतराल पर ऐसी कई रिक्वेस्ट की जाएंगी तो आपका क्रेडिट स्कोर लो होगा। इसलिए लोन लेने के लिए सीधे वित्तीय संस्थानों से लोन इंक्वायरी करने की बजाय ऑनलाइन उपलब्ध फाइनेंशियल मार्केट-प्लेसेस की सहायता लेनी चाहिए। इन मार्केट-प्लेस पर आप अपने क्रेडिट स्कोर, जॉब प्रोफाइल, इन्कम और अन्य इलिजिबिलिटी क्राइटेरिया के अनुसार लोन सलेक्ट कर सकते हो।
री-पेमेंट कैपेसिटी
लोन एप्लीकेशन में लोन चुकाने की जो अवधि आप चुनते हो, वो ऋण आवेदन के स्वीकार या अस्वीकार होने में बहुत अहम भूमिका निभाती है। लोन देने वाला संस्थान यह देखता है कि आपके सारे आवश्यक मासिक खर्चे निकाल देने के बाद आपके पास कितनी रकम बचती है। इन खर्चों में पहले से चल रही ईएमआई, इंश्योरेंस प्रीमियम और अन्य निवेश योगदान शामिल हैं। आपकी बचत से ही लोन देने वाला संस्थान अनुमान लगाता है कि आप समय पर लोन चुका पाओगे या नहीं।