जींस पहनने की वजह से हत्या मामला उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के महुआडीह थानाक्षेत्र के सवरेजी खर्ग गांव का है. 17 साल की नेहा पासवान को उसके दादा-दादी और चाचा-चाची ने पीट-पीटकर मार डाला. नेहा की मां शकुंतला देवी का आरोप है कि दादा-दादी और चाचा-चाची ने नेहा को पीट-पीटकर मार डाला और वो भी सिर्फ इसलिए क्योंकि नेहा जींस पहनना बंद नहीं कर रही थी.
लुधियाना में काम करते हैं पिता
मिरर की रिपोर्ट के अनुसार, नेता के पिता अमरनाथ पासवान लुधियाना में दिहाड़ी मज़दूरी करते हैं और हादसे के दिन भी वह लुधियाना में ही थे. अमरनाथ पासवान दो बेटों और दो बेटियों के पिता हैं. अमरनाथ ने बताया, ‘अपने बच्चों के पढ़ने-लिखने और पहनने-ओढ़ने को लेकर कभी टोका-टाकी नहीं की. मैं हमेशा से चाहता था कि बच्चे पढ़-लिखकर आगे बढ़ें.’
9वीं क्लास में पढ़ती थी नेहा नेहा अपने छोटे भाई विवेक के साथ घर से करीब एक किलोमीटर दूर स्थित श्रीमति शांति देवी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में पढ़ती थी. उसने इस साल आठवीं की परीक्षा पास की थी और 9वीं क्लास में एडमिशन हुआ था. नेहा की सबसे बड़ी बहन निशा ग्रेजुएट है और घर पर ही रहकर सिलाई-कढ़ाई का काम करती है. वहीं बड़ा भाई विशाल पासवान 10वीं पास है और गुजरात के बड़ौदा में रंगाई-पुताई का काम करता है, जबकि सबसे छोटा भाई विवेक सातवीं क्लास में पढ़ता है.
दरोगा बनना चाहती थी नेहा
नेहा की मां शकुंतला देवी बताती हैं कि नेहा पढ़ने में काफी तेज थी और कहती थी कि वो पढ़-लिखकर दरोगा बनेगी. वह अपने परिवार की परेशानियों को दूर करना चाहती थी, लेकिन उसका यह सपना पूरा नहीं हो पाया.
नेहा की मां ने सुनाई दर्दनाक कहानी
हादसे के दिन की दर्दनाक कहानी बताते हुए नेहा की मां शकुंतला देवी ने कहा, ‘नेहा ने सोमवार का व्रत किया था और उसने सुबह पूजा-पाठ किया. शाम को नहाने के बाद जींस-टॉप पहना और पूजा की. पूजा के समय तो किसी ने कुछ नहीं कहा, लेकिन उसके बाद उसके दादा-दादी और चाचा-चाची ने जींस पहने को लेकर आपत्ति जताई. इस पर नेहा ने कहा कि सरकार ने जींस पहनने के लिए बनाया है, इसलिए मुझे पहनना है, पढ़ना लिखना है और समाज में रहना है.’ शकुंतला देवी ने आगे बताया, ‘इसके बाद नेहा के दादा-दादी ने कहा कि वे ना तो उसे जींस पहनने देंगे और ना पढ़ने देंगे. फिर दादा-दादी और चाचाओं-चाची ने मिलकर उसकी पिटाई कर दी. इससे उसकी मौत हो गई. पिटाई के बाद उनलोगों ने कहा कि वह बेहोश हो गई है और उसे अस्पताल ले जा रहे हैं, लेकिन वे जिस तरह से नेहा को ऑटो में लेकर गए उससे लगा कि उसकी मौत हो चुकी है. मैंने कई बार ऑटो में चढ़ने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने साथ नहीं जाने दिया. अगले दिन नेहा का शव गंडक नदी पर बने पटनवा पुल का पास मिला.