कार्तिक मास की कृष्णपक्ष की चतुर्दशी या फिर कहें नरक चतुर्दशी पर आज हनुमानजी की जयंती मनाई जा रही है. हनुमान जी के जन्म तिथि को लेकर संशय होने के कारण हनुमत भक्त इसे साल में दो बार चैत्र मास की पूर्णिमा और कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाते हैं. बहरहाल आज छोटी दिवाली के दिन हनुमान जी की साधना-आराधना करने का बहुत महत्व है. आज यम देवता के साथ हनुमान जी के लिए भी तिल के तेल का विशेष रूप से दीया जलाने से जीवन से जुड़े सभी संकट दूर और मनोकामनाएं पूरी होती हैं. आइए जानते हैं बल-बुद्धि और विद्या के सागर कहलाने वाले श्री हनुमान जी की साधना के सात बड़े लाभ.
सनातन परंपरा में मंगलमूर्ति मारुतिनंदन श्री हनुमान जी की साधना कलयुग में अत्यंत फलदायी है. मान्यता है कि रुद्रावतार हनुमान जी का नाम लेते ही सारे संकट अपना रुख मोड़ लेते हैं, विपत्ति अपना रास्ता बदल लेती है और परेशानियां स्वतः ही समाप्त हो जाती हैं. हनुमत साधक को चारों पुरुषार्थों को नियंत्रित करने की क्षमता बजरंगी की पूजा-आराधना से ही प्राप्त होती है, क्योंकि वे अष्ट सिद्धियों व नवनिधियों के दाता है. सारे दुर्गुण और दुर्भाग्य को दूर करके सुख-संपत्ति और सौभाग्य को प्रदान करने वाले हैं.
भगवान शिव के अवतार हनुमान जी की साधना अत्यंत सरल और शीघ्र ही फलदायी है. पलक झपकते ही सर्वसमर्थ देवता हनुमान जी अपने भक्तों पर सुख-संपत्ति का खजाना लुटा देते हैं. यदि आपको शास्त्र आदि का ज्ञान नहीं है और आप विधि-विधान से हनुमान जी की पूजा करने में असमर्थ हैं, लेकिन पवित्र मन और भक्ति भाव से उनका सुमिरन या उनके नाम का जप करते हैं तो निश्चय ही उनकी कृपा आप पर बरसती है. श्री हनुमान की साधना करने पर साधक को बल, बुद्धि, बल की प्राप्ति होती है और वह तन और मन की शक्ति को पाकर सभी शत्रुओं पर आसानी से विजय प्राप्त करता है.
हनुमत साधना करने पर साधक को समस्त लौकिक व पारलौकिक सुख का अनुभव प्राप्त होता है और उसके सारे रोग, शोक, क्लेश दूर हो जाते हैं. श्री हनुमान जी की उपासना की सबसे अच्छी बात यह है कि इसे कोई भी कहीं भी कर सकता है. श्री हनुमान जी सर्वव्यापी यानि की हर जगह मौजूद हैं और अपने भक्त के संकटों को दूर करने के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं और श्रद्धा और भाव से याद करने मात्र पर सभी विपत्तियों को दूर करने के लिए दौड़े चले आते हैं.