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चुनाव हारकर भी ‘बाजीगर’ बने पुष्कर सिंह धामी, कुछ ऐसा रहा अबतक का राजनीतिक सफर

पहाड़ी राज्य उत्तराखंड को अपना 12वां मुख्यमंत्री मिल गया है. 10 मार्च को विधानसभा चुनाव (Uttarakhand Assembly Election 2022) के नतीजे सामने आने के 11 दिन बाद सोमवार 21 मार्च को नए सीएम के तौर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी  के नाम का ऐलान किया गया है. सीएम के नाम पर कई दिनों से चल रहा सस्पेंस आखिरकार आज खत्म हो गया. बीजेपी के उत्तराखंड पर्यवेक्षक और केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) की मौजूदगी में दून में आयोजित बैठक में सीएम पुष्कर सिंह धामी पर विश्वास जताते उन्हें उत्तराखंड का 12वां मुख्यमंत्री घोषित किया गया. हालांकि, चुनाव हारने के बावजूद पार्टी आलाकमान ने पुष्कर सिंह धामी पर एक बार फिर भरोसा दिखाया और उन्हें कमान सौंपे जाने का फैसला लिया है.

उत्तराखंड की सियासत में पुष्‍कर सिंह धामी का नाम बीते साल अचानक सुर्ख‍ी बन कर उभरा था. बीजेपी ने प्रदेश में सत्ता परिवर्तन करते हुए 45 साल के पुष्‍कर स‍िंह धामी को मुख्‍यमंत्री बनाया था. इसके साथ ही वह उत्तराखंड के सबसे युवा मुख्‍यमंत्री बने थे. पुष्‍कर स‍िंह धामी ने 3 जुलाई 2021 को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी. पुष्‍कर स‍िंह धामी का ये राजनीत‍िक सफर बेहद ही साधारण पर‍िवार से होकर गुजरा है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का जन्म 16 सितंबर 1975 को प‍िथौरागढ़ ज‍ि‍ले में स्‍थ‍ित डीडीहाट तहसील के टुण्डी गांव में हुआ था. पुष्‍कर सिंह धामी के प‍िता सेना में सूबेदार के पद पर कार्यरत थे.

लखनऊ यून‍िवर्स‍िटी की छात्र राजनीत‍ि में हुए सक्रिय

धामी की शुरुआती शिक्षा गांव के ही स्‍कूल में हुई. इसके बाद इनका परिवार खटीमा आ गया. जहां से धामी ने 12वीं तक की पढ़ाई गई. आगे की पढ़ाई के ल‍िए उन्‍होंने लखनऊ यून‍िवर्स‍िटी में दाखिला लि‍या. उन्होंने मानव संसाधन प्रबंधन और औद्योगिक संबंध में मास्टर्स की डिग्री ली. यहीं से उनके राजनीत‍िक जीवन की शुरुआत भी हुई. 2000 में उत्तराखंड के गठन से पहले ही पुष्‍कर स‍िंह धामी लखनऊ यून‍िवर्स‍िटी की छात्र राजनीत‍ि में सक्रिय हो गए थे. 1990 से 1999 तक जिले से लेकर राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में कई पदों में रहकर विद्यार्थी परिषद में काम किया. वे दो बार भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष रहे. धामी कुमायूं क्षेत्र के बड़े राजपूत चहेरे भी हैं. पुष्‍कर स‍िंह की मां का नाम व‍िशना देवी और पत्‍नी का नाम गीता धामी है और उनके दो बेटे हैं.

भगत सिंह कोश्यारी माने जाते हैं धामी के राजनीतिक गुरु

बता दें कि वरिष्ठ नेता भगत सिंह कोश्यारी को धामी का राजनीतिक गुरु माना जाता है. जब भगत सिंह कोश्यारी सीएम थे तो पुष्कर सिंह धामी उनके ओएसडी भी रह चुके हैं. वर्तमान में उन्हें रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के निकट माना जाता है. पुष्कर सिंह धामी ने 2012 और 2017 में खटीमा सीट से चुनाव जीत चुके हैं. पार्टी ने तीसरी बार उन्हें फिर यहीं से मैदान में उतारा था लेकिन वह इस बार अपनी सीट हार गए. वहीं 2017 विधानसभा चुनाव में भाजपा ने उत्‍तराखंड की 70 सीटों में से 57 सीटों पर जीत दर्ज कर सरकार बनाई थी. भाजपा सरकार के इस कार्यकाल में पहले त्रिवेंद्र सिंह रावत, उसके बाद तीरथ सिंह रावत और अंत में पुष्‍कर सिंह धामी को मुख्‍यमंत्री बनाया गया था. धामी का कार्यकाल करीब 6 महीने का रहा. तीरथ सिंह रावत के बाद पुष्कर सिंह धामी ने चार जुलाई 2021 को शपथ ली थी.

धामी ने एक मिथ तोड़ा तो एक रहा बरकरार

पुष्कर सिंह धामी के सामने उत्तराखंड की राजनीति के दो अहम मिथकों को तोड़ने की चुनौती थी. दरअसल उत्तराखंड राज्य गठन के बाद हुए चार विधानसभा चुनाव का इतिहास रहा है कि इनमें मुख्यमंत्री रहते हुए जिस राजनेता ने चुनाव लड़ा, उसे पराजय का सामना करना पड़ा. पूर्व मुख्यमंत्री मेजर जनरल बीसी खंडूड़ी और हरीश रावत इसके उदाहरण हैं. इसके अलावा मुख्यमंत्री धामी के सामने उत्तराखंड में लगातार दूसरी बार सरकार न बना पाने के मिथक को तोड़ने की भी चुनौती थी. इन दोनों मिथक में एक बरकरार रहा वहीं एक टूटा. धामी अपनी सीट से हारे लेकिन उनकी अगवाई में दोबारा बीजेपी की सरकार बनने जा रहे हैं.